tribal technology
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  • अछूतों के बड़े घर, शूद्रों की चमचमाती गाड़ी, मुसलमानो के हाथों में क़लम… मनुवादी- पाखंडियो को अक्सर बहुत ही चुभते तथा तकलीफ देती है।
  1. जिस तेली ने कोल्हू बना कर तेल निकाला खाने में स्वाद दिया सुंदरता दी, जिस तेली के तेल की पूजा के बिना कोई शुभ कार्य नही होता है, क्या ऐसे समाज सेवी समाज के लोग श्रेष्ठ नही है?
  2. जिन्होंने चमड़े से जूते, चप्पल बनाने का आविष्कार कर, समस्त मानव जाति के पैरों को सुरक्षित, सुन्दर और निरापद बनाकर समाज सेवा की, क्या वे लोग श्रेष्ठ नहीं?
  3. जिन्होंने सम्पूर्ण पर्यावरण की सफाई करके सुन्दर और स्वच्छ समाज बनाकर समाज की सेवा की, क्या वे लोग श्रेष्ठ नहीं?
  4. जिन्होंने लकड़ी से फर्नीचर (खाट, पलंग, आलमारी, मेज, कुर्सी, दरवाजे आदि) का आविष्कार कर, समाज सेवा की, क्या वे लोग श्रेष्ठ नहीं?
  5. जिन्होंने मिट्टी के बर्तन बनाने का आविष्कार करके समाज सेवा की, क्या वे लोग श्रेष्ठ नहीं?
  6. जिन्होंने बीज से खेती के औजारों का (हल, खुरपी, फावड़ा आदि) आविष्कार करके “अन्न पैदा करने की तकनीक” देकर भूखों मरते, जंगलों में कन्द-मूल और फल के लिए भटकते मानव की, समाज सेवा की, क्या वे लोग श्रेष्ठ नहीं?
  7. जिन लोगों ने लोहे से “मानव लाभकारी उपकरण” का आविष्कार किया, सब्जियां उगाकर या जानवरों को पालकर किया, क्या वे श्रेष्ठ नहीं थे?
  8. जिन्होंने घर, इमारतें बनाने का आविष्कार करके, प्रकृति और मौसम के क्रूर थपेड़ों से मानव को बचाकर समाज सेवा की, क्या वे लोग श्रेष्ठ नहीं?
  9. जिन्होंने  जिसने सूती, रेशमी और सभी प्राकृतिक रेशों के साथ बुने हुए कपड़ों का आविष्कार किया, क्योंकि तक लोग जंगलों में ठंडी, नग्न और मृत जानवरों की खाल लपेटने के रहते थे और चिलचिलाती गर्मी में पेड़ों की छाल की पत्तियों लपेटते थे… कपड़े बनाकर समाज की सभ्यता संस्कृति का निर्माण करना।
  10. जिन्होंने नौकायें और बड़ी-बड़ी पानी के जहाज बनाकर यातायात को सरल बनाकर पूरे मानव सभ्यता को उन्नतिशील और ऐश्वर्यपूर्ण बनाकर, समाज सेवा की, क्या वे लोग श्रेष्ठ नहीं?
  11. जिन कारीगरों ने मिट्टी के पत्थरों और सभी प्राकृतिक संसाधनों से बेहतर कलात्मक मूर्तियां बनाकर समाज की सेवा की, इस समाज और दुनिया को कला और संस्कृति की अनन्त ऊंचाइयों तक पहुंचाया, क्या वे श्रेष्ठ नहीं हैं?

-> लेकिन जिन्होने लंबे समय से समाज को अंधविश्वास, ढकोसले, पाखंण्ड, लोक-परलोक, स्वर्ग-नरक, पाप-पुण्य, मोक्ष प्राप्ति, कपोल-राशिफल, कल्पित भविष्य-फल, पुनर्जन्म, जातिवाद, छूआ-छूत, अश्पृश्यता आदि नरकीय तमाम ढकोसलों के सहारे समाज को पीछे ढकेलकर समाज को अकर्मण्यता और भाग्यवादी बनाकर कर पीछे की तरफ ढकेलने वाले, वे ही आज तथाकथित जातिमात्र से श्रेष्ठ है, यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है ।

-> भारतीय टैक्नोलोजी में इसके पीछे का कारण यह है कि यहां “नॉन टैक्निकल” जातियां श्रेष्ठ और प्रभावी हो रही हैं और “तकनीकी” जातियों से भेदभाव और शोषण किया जा रहा है।

-> पहले जानो फिर मानो, अंधभक्त ना बनो ।

– पाखंडमिटाओ शासन करो शिक्षित बनो और शिक्षित करो ।?


भोरमदेव गढ़ पेनठाना गोंडवाना की शान

DNA Report 2001 में साबित हुआ कि उच्च जाति के भारतीय पुरुष यूरोपीय है

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