India-Political-Map-28-State-and-7-Union-territory
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भारत में कुल 5 प्रकार के क्षेत्र पाए जाते है और हर क्षेत्र के अलग नियम कानून है :-

A.  5 वी अनुसूचित क्षेत्र
B.  6  वी अनुसूचित क्षेत्र
C.  370 विशेष राज्य का दर्जा
D.  केन्द्र शासित राज्य
E.  सामान्य क्षेत्र

A) 5 वी अनुसुची क्षेत्र वाले 10 राज्य 

1)मध्यप्रदेश
2)राजस्थान
3)गुजरात
4)महाराष्ट्र
5)छत्तीसगढ
6)उडीसा
7)झारखण्ड
8)तेलंगाना
9)हिमाचल प्रदेश
10)आंध्र प्रदेश

B) 6 अनुसुची क्षेत्र वाले 6 राज्य

1)नागालैंड
2)मणीपुर
3)मेघालय
4)त्रिपुरा
5)सिक्कीम
6)अरूणाचल प्रदेश

C) 370 विशेष राज्य का दर्जा (जम्मू और कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को हटाया)

भारत के संविधान अनुच्छेद 370 में एक ऐसा लेख था जिसने जम्मू-कश्मीर को स्वायत्तता दी थी। संविधान के भाग XXI में लिखा गया है अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान।

भारत सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 पेश किया, जिसमें जम्मू और कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो क्षेत्रों में विभाजित करने का प्रस्ताव था। जम्मू और कश्मीर और लद्दाख का क्षेत्र । जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायिका वाली केंद्र शासित क्षेत्र होगा।

D) 9 केन्द्र शासीत प्रदेश

1)दादर और नगर हवेली
2)अंडोमान और निकोबार
3)लक्ष्यदिप समुह
4)पुदुचेरी
5)दमन और दीव
6)चण्डीगढ़
7)दिल्ली
8)लद्दाख (5 अगस्त 2019 को केन्द्र शासीत राज्य का दर्जा)
9)जम्मू और कश्मीर (5 अगस्त 2019 को केन्द्र शासीत राज्य का दर्जा)

E) सामान्य क्षेत्र

सामान्य क्षेत्र जहा लोकसभा विधानसभा के सारे कानून लागु होते है
1.   असम
2.   बिहार
3.   गोवा
4.   हरियाणा
5.   कर्नाटक 
6.   केरल
7.   मिजोरम
8.   पंजाब
9.   तमिलनाडु
10.  उत्तर प्रदेश
11.  उत्तराखंड
12.  पश्चिम बंगाल

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भारत में कोयतुरो के 20 राज्य है 1) मध्यप्रदेश, 2) राजस्थान, 3) गुजरात, 4) महाराष्ट्र, 5) छत्तीसगढ, 6) उडीसा, 7) झारखण्ड, 8) तेलंगाना, 9) हिमाचल प्रदेश, 10) आंध्र प्रदेश, 11) नागालैंड, 12) मणीपुर, 13) मेघालय, 14) त्रिपुरा, 15) सिक्कीम, 16) अरूणाचल प्रदेश, 17) दादर और नगर हवेली, 18) अंडोमान और निकोबार, 19) दमन और दीव, 20) लक्ष्यदिप समुह और इसके अलावा देश के हर राज्य में कोयतूर (Indigenous peoples) रहते है ।
इसका मतलब है भारत एक कोयतूर राष्ट्र है, इसलिए इसे India कहा या और India शब्द Indigenous से बना है । इसका मतलब यह है कि कोयतुर एक ही वंश का है सिंधु सभ्यता के वंशजो के लोग ही इस विशाल भारत (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, भुटान, म्यामार, बंगलादेश, श्रीलंका) में रहते है ।

सिंधु सभ्यता के लोग मानवतावादी लोग थे हिंसक नही थे सिंधु सभ्यता के लोगो की व्यवस्था मानव = मानव  मतलब वस्तु विनिमय की थी मतलब मुद्रा का उपयोग नही होता था वस्तु के बदले वस्तु लेने और वस्तु के बदले वस्तु देने का व्यवहार चलन में था न यह कोई गरीब था न कोई यहा अमीर था ।इसलिए सिंधु सभ्यता और हडप्पा संस्कृति के लोगो के घरो में दरवाजा नही हुआ करते थे और घरो में दरवाजे वहां नही होते है जहाँ विसवाश होता है जहाँ अमीरी गरीबी नही होती ।

सिंधु सभ्यता के लोग (1) सह-अस्तित्व (2) सह-भागिता और (3) सामुहिक नेतृत्व का जीवन जिते थे सिंधु सभ्याता के समय श्रम का सम्मान होता था और यहाँ मतृ सत्तात्मक संस्कृति थी इसलिए यह सभ्यता दुनिया की श्रव श्रेष्ठ सभ्यता थी लेकिन व्यापार के माध्यम से कुछ खाना बदोस निकम्मे और हिंसक साम्राज्यवादी, वर्चस्ववादी आर्य  ब्राह्मण  लोग  भारत  की  भुमि  पर पैर रखते है । आर्य ब्राह्मण ने देखा यहाँ के लोग बहुत सिधे सादे है, हम यहाँ अपना वर्चस्व खडा कर सकते है । और हिंसक लोगो ने यह भारत के कोयतूरों पर आक्रमण करके साम्राज्य स्थापित करने लगे । कोयतूर लोग बलिष्ट (जो शरीर से शक्तिशाली हो) थे लेकिन हिंसक नही थे, इसलिए आर्य ब्राह्मण झूट,छल,कपट कर के कोयतूरों हराने लगे । कोयतूर, साम्राज्यवादियो का सामना करने मे असफल रहे और पराजय के कारण अपनी परंपरा, सभ्यता, संस्कृति को बचाने के लिए जंगलो में जाने को विवास हो गए । आक्रमणकारीयो के द्वारा सिन्धु क्षेत्र पर विजय के बाद पुरे भारत पर कबजा करने लगे और कोयतूर अपनी संस्कृति बचने के लिए  बीहड़ इलाको में चले गये । हजारो साल तक ऐसा ही चलता रहा प्रकृति के साथ पर्वतो में जंगली-जनवरो,पशु-पक्षी, के साथ अपना जीवन बिताया ।

इस भारत भुमि पर आर्यो के आलावा कई आक्रमणकारीयो ने आक्रमण किया –

आर्य
शक
कुषाण
हुण
मंगोलियन (चंगेश खाँ)
मोर्य
युनानी
मुगल
अंग्रेज

अंग्रेजो के कारण हजारो साल के बाद 1835 में समान शिक्षा के अधिकार के कारण कोयतूरों को पुनः शिक्षा प्राप्त हुई लेकिन अब लिपी, भाषा सब बदल चुका था । कोयतूरों की जल, जंगल, जमीन का संघर्ष तब भी जारी था । तीलका मांझी, टंटीया भील, रेंगा कोरकु, बिरसा मुण्डा, राघोजी भांगरे, भीमानायक, बाबुराव शेडमाके आदि कोयतूर योध्दाओ ने जंग जारी रखा । कई अधिकार अंग्रेजी सरकारो से लडकर लिए और 1947 आजादी के बाद भी कोयतूरों का संघर्ष जारी रहा और आज तक जारी है।

1950 के बाद संविधान बनने के बाद कोयतूरों को कभी सत्ता पर काबीज नही होने दिया । कोयतूरों को शराब की आदत डाली गई कोयतूरों में

जातिवाद
परिवारवाद
क्षेत्रवाद
पर्टीवाद
संगठनवाद
व्यक्तिवद
पुँजीवाद
धर्म सम्प्रादायवाद

आदि सामाजिक बिमारीया डालकर समाज के टुकडे-टुकडे कर दिये गये । कोयतूर समाज का धर्मांतरण किया गया । कोयतूरों को अलग-अलग धर्मो में बांटा गया । कोयतूर को जबरन हिन्दु बनाया गया, मुस्लिम बनाया गया, क्रिश्चियन बनाया गया, बौध्द बनाया गया इस तरह से संगठित समाज का बटवारा किया गया और वर्त्तमान में कोयतूर विभिन्न राजनैतिक पार्टियों में बट गया ।लेकिन आज कोयतूर समाज अपने पुरखो को अपने शहिदो को, अपने शहिदो के संघर्षो को और उनके बलिदान को जानने लगा है । कोयतूर अपने सभ्यता संसकृति इतिहास को पहचानने लगा है और आज सबसे तेज गति से एक हुआ है । मतलब कोयतूर को अपने दुशमनो का अहसास हो गया है इसलिए दुशमन भी कोयतूरों को जल्दी से खत्म करना चाहता है वह अपना साम्राज्य इस देश में कायम रखना चाहता है इसलिए आये दिन हडबडाहट में हुलुल-जुलुल हरकते कर रहा है । लेकिन संघर्स सील कोयतूर समाज दुशमनो को सबक जरूर सिखायेंगा ।


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