

सिंगौरगढ किला जिला दमोह मध्य प्रदेश में स्थित है । सतपुड़ा की पहाड़ियों पर यह क्षतिग्रस्त किला स्थित है दमोह के सिंग्रामपुर (संग्रामपुर) से लगभग 6 किमी की दूरी पर। इस किले का प्राचीन समय में बहुत बड़ा सामरिक महत्व था। कहा जाता है कि इस विशाल किले का निर्माण महाराजा वेन बसोर और गौंड राजाओं द्वारा किया गया था। यह विशाल किला बहुत दुर्गम पहाड़ी पर बनाया गया था। भौगोलिक संरचना के कारण, यहां दुश्मनों को हमला करने में मुश्किल होती थी। गोंड राजा, दलपत शाह अपनी रानी दुर्गावती के साथ 15 वीं शताब्दी में यहां रहे थे। किले के पास एक झील है जहाँ कमल के फूलों का समूह झील यहाँ के आकर्षण को बढ़ाता हैं। यह गौंड वंश के साहस और गौरव का धरोहर है, जो एक खंडहर अवस्था में पहुंच गया है।
यह महाराजा संग्राम शाह के 52 गढ़ों में से 4था गढ़ है। महाराजा संग्राम शाह का साम्राज्यण विशाल था और इसका विस्ताथर 52 गढों तक था। युवराज दलपति साहि किसी भी गढ पर रह सकते थे। परंतु इन्हें सिंगौरगढ के दुर्ग में रहना बहुत पसंद था। रानी दुर्गावती से दलपति साहि का विवाह इसी दुर्ग में हुआ था।
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रूहिल्लाद खान इस दुर्ग पर आक्रमण किया किंतु विजयी नहीं हो पाया था। संपूर्ण पहाडी पर किले की दीवारें तथा चौकियों के भग्नाोवशेष मौजूद हैं। संभवत: सिंगौरगढ का किला सबसे अधिक सुरक्षित किला रहा होगा। यहां पर एक किला काफी अच्छी स्थिति में है। इस क्षेत्र में मिलने वाले विशेष प्रकार के पत्थीरों का प्रचुर मात्रा में उपयोग करके किला एवं सुरक्षा दीवारें बनाई गई हैं।
यह दुर्ग संरक्षित वन क्षेत्रो में है। पर्यटक सिंगौरगढ का किला देखने आते हैं। हालांकि अब यहां दुर्ग के भग्नारवशेष ही मौजूद हैं। फिर भी इस किले के भग्नावशेष अपनी वैभव की दास्तान बताने के लिये काफी है।