Shahid-budhu-bhagat
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शहीद वीर बुधु भगत (जन्म 17 फरवरी 1792 – शहादत (मृत्तु) 13 फरवरी 1832)

महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, वीर बहादुर बुधू भगत को सत सत नमन, उराँव जनजातीय क्षेत्रों में शहीद बुधू भगत के नेतृत्व से ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह हुआ।

जब कोयतूर ने अपनी जल, जंगल, जमीन और सामाजिक व्यवस्था पर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए 1831 से 1832 तक कोलयुद्ध के रूप में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन शुरू किया।

तब लगभग हर क्षेत्र में कोयतूर समुदायों के लोग जैसे वीर शहीद पोटो ‘हो’, वीर शहीद गंगा नारायण सिंह, वीर बहादुर बुधू भगत आदि नेता नेतृत्त्व के लिए सामने आये।

वीर बहादुर शहीद बुधू भगत के नेतृत्व में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह छेड़ा गया। उराँव जनजातीय क्षेत्रों में बुधु भगत की अच्छी पकड़ थी जिस वजह से अंग्रेजो को कड़ी टक्कर दी। इन आन्दोलनों के परिणामस्वरूप, अंग्रेजों ने छोटानागपुर क्षेत्रो में कोयतूर विद्रोह को शांत करने के लिए “दक्षिण पश्चिम सीमा प्रांत”(South west Frontier Agency) में उस क्षेत्र को सामान्य कानूनों से मुक्त कराकर स्वशासन व्यवस्था कानूनो को मान्यता दी गई।

अत:1833 में बंगाल रेगुलेशन एवं 1837 में बिलक्लीशन रूलस के रूप में कोयतूर पारम्परिक ग्रामसभा व रूढी प्रथा को कानूनी मान्यता दी गई। और दोनों कानून भारत के संविधान के अनुच्छेद 372 के तहत लागू हैं।


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