

1- ” सतयुग ” = इस युग में जब केवल ब्राह्मण ही पढ़ और लिख सकते थे। इसलिए वो जो कहाते सत्य माना गया, इसीलिए ब्राह्मण इस युग को सतयुग कहाते ।
2- ” द्वापरयुग ” = वह युग जिसमें ब्राह्मणों के साथ क्षत्रिय अध्ययन करने लगे। अर्थात् दोनों वर्णों पढ़ना लिखने शुरू किया, इसलिए ब्राह्मणों ने इसे द्वापर युग कहा।
3- ” त्रेतायुग ” = वह युग जिसमे सवर्ण (बाह्मण, क्षत्रिय, वैश्य ) पढ़ने लिखने लगे, इसलिये ब्राह्मणों ने इसे त्रेतायुग कहा।
4- ” कलयुग ” = वह युग में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, के साथ-साथ मूलनिवासी (ओबीसी, एस०सी०, एस०टी०) भी पढ़ने लिखने लगे। इसलिये ब्राह्मणों ने इसे कलयुग यानी राक्षसी/ अधर्म/ अशुभ पाप का युग कहने लगे।
“कलयुग” अर्थात् “कलमयुग” ? या सतयुग, द्वापरयुग, त्रेतायुग आपके लिए अच्छा था?
आप स्वँय चिंतन करके निष्कर्ष निकाले. ! !
राममंदिर बनने के बाद क्या होगा ?
राम मंदिर के निर्माण के बाद, 150-200 ब्राह्मण पीढ़ी दर पीढ़ी तक मंदिर में रोजगार प्राप्त करेंगे। मंदिरों के इर्द-गिर्द जो दुकाने बनेंगी, वो बनियों को मिल जाएंगी, जो पीढ़ी दर पीढ़ी रोजगार करेंगे ।
बाकी ओबीसी, एससी और एसटी वहां चढ़ावा चढायेंगे और वह घंटा बजाएगा।
देश के OBO समाज का लगभग 65%
1.बजरंग दल में है,
2.विश्व हिंदू परिषद में है,
3.शिव सेना में है,
4.गौरक्षा दल में है,
5. RSS में है,
6.हिन्दू युवा वाहिनी में है,
7.श्री राम सेना में है,
8.गायत्री परिवार में है,
9.आर्य समाज में है,
10.स्वाध्याय परिवार में है;
11.करणी सेना में है ;
12.और जितने भी देश मे धार्मिक संगठन है सभी मे है।
सिर्फ यहाँ नहीं है ओबीसी के लोग
1.न्यायालयों में जज नहीं है
2.सरकारी वकील नहीं है
3.यूनिवर्सिटीज में प्रोफेसर लेक्चरर नहीं है
4.शासन में सचिव नहीं है
5.आईएएस आईपीएस ऑफिसर नहीं है।
6.डिप्टी कलेक्टर डीएसपी नहीं है
7.बड़ी बड़ी कंपनियों में CMD डायरेक्टर नहीं है
8.जनसंख्या के अनुपात में मुख्यमंत्री, सांसद, प्रधानमंत्री, विधायक नहीं है।
9.मीडिया में मालिक संपादक ब्यूरोचीफ नहीं है।
10.भारत मे एक भी बड़ा बिजनेस मैन ओबीसी का नही है।
फिर भी, ओबीसी समाज अपनी आँखें नहीं खोल रहा है, मुझे नहीं पता कि अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो ओबीसी समाज का विभाजन होना तय है और आरएसएस के संघीय लोग संविधान को खत्म कर देंगे और मनुस्मृति को लागू करेंगे, जो कि एक कड़वा सच है।
मनुस्मृति की वापसी : रोक सकें तो रोक लें
1) जज कॉलेजियम से बनेंगे।
2) आईएएस लेट्रल एंट्री से बनेंगे।
3) बाकी नौकरियां संविदा या ठेके पर होंगी।
4) बेहतर शिक्षा इतनी महंगी है कि कोई भी ईमानदार व्यक्ति अपने बच्चों को वहां नहीं पढ़ा पाएगा और सरकार की शिक्षा साजिश के तहत बर्बाद हो रही है।
5) सरकारी क्षेत्र में आरक्षण चरण तरीके से ख़त्म किया जा रहा है, लेकिन यदि सरकारी क्षेत्र को प्राइवेट करदिया जाये तो रिज़र्व अपने आप समाप्त हो जाएगा और कोई भी इसे समाप्त करने का दोषी नहीं होगा।
6) एससी, एसटी, ओबीसी को उनके अधिकारों से वंचित किया जाएगा और जाति के व्यवसायों में लौटने के लिए मजबूर किया जाएगा। ऐसा होने पर SC ST OBC को सिर्फ पेट भरने जितना त्वंखा मिलेगी।
7) यह आखिरी समय है कि ब्राह्मणवादी पार्टियों से दूर रहो। सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक क्रांति के लिए तैयार होना पड़ेगा और साथ ही आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा … तभी हम अपने भविष्य और आने वाली पीडी को बचा पायेगे गुलाम से।