religion-vs-science
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धर्म या विज्ञान

धर्म और शास्त्र

चेतना और विज्ञान दुश्मन हैं … कैसे?

चलो देखते हैं !

1. विज्ञान और भूगोल: –

गंगा हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर (ग्लेशियर) से निकलती है ।

धर्म और शास्त्र: –

गंगा की उत्पत्ति शिवाजी के जटा से हुई और भागीरथ ने इसे स्वर्ग से धरती पर लाया ।

2. विज्ञान और भूगोल: –

जब जल वाष्प से भरे बादल हवाओं के संपर्क में आते हैं, तो बारिश होती है।

जबकि धर्म और शास्त्र: –

वर्षा देवता इंद्र को बनाते हैं।

3. विज्ञान और भूगोल: –

पृथ्वी अपनी धुरी पर 23 डिग्री झुकी हुई है । भूकंप तब आता है जब दो टेक्टोनिक प्लेट टकराते हैं । 

जबकि धर्म और शास्त्र: –

भूमि शेषनाग कीप पर टिकी हुई है और जब यह पक्ष बदलती है, तो भूकंप आते हैं । अन्यत्र, यह लिखा है कि भूमि बैल / गाय की पूंछ पर टिकी हुई है और जब उसका वजन बदलता है, तो भूकंप आता है ।

4. विज्ञान और भूगोल: –

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी और चंद्रमा सूर्य और चंद्रमा के चारों ओर घूमते हैं।

जबकि धर्म और शास्त्र: –

चंद्र ग्रहण के समय, राहु चंद्रमा को खाता है ।

5. विज्ञान: –

इंसान हवाई जहाज से यात्रा करता है ।

जबकि धर्म और शास्त्र: –

बिना किसी साधन के, तथाकथित देवी और राक्षस ही हवा में उड़ सकते है ।

6. विज्ञान: –

यहां, दूरसंचार के माध्यम से भी, मनुष्य दूरसंचार के माध्यम से एक दूसरे से बात कर सकते हैं ।

जबकि धर्म और शास्त्र: –

केवल साधु-संत ही बिना किसी साधन के अपनी रचना के बारे में ईश्वर से बात करते थे ।

अब आपका फैसला?

अपने बच्चों को बौद्धिक विकास के लिए विज्ञान सिखाएं या उन्हें अंधविश्वासी, धर्म और अप्रमाणित धर्मग्रंथ बनाएं !

एक आदमी जितना अधिक डरा हुआ है, उतना ही आसानी से उसका शोषण किया जा सकता है ।

डर किसी भी तरह का हो सकता है,

चाहे वह भूतों के डर के कारण हो,

पुलिस का डर

गुंडे का डर

या भगवन का डर ।

उन्हें डराया जाता है कि अगर वह ऐसा नहीं करेगे तो बच्चा मर जाएगा, पति मर जाएगा, घर में गड़बड़ी होगी ।

डरा हुआ व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार हो जाता है ।

डरे हुए व्यक्ति को सत्यनारायण की कहानी पढाई जाती है, जहां न तो “सत्य” दिखता है और न ही कोई “नारायण” है ।

यदि देखा जाए, तो केवल पुजारी के व्यवसाय नजर आता है, फिर भी लोग सत्यनारायण की कहानी सुनने है, क्योंकि वह पहले से ही डरे हुए होते है ।

लोगो को बताया जाता है यदि यज्ञ करे तो शांति है, वरना अशांति है ।

यज्ञ करेगे तो व्यवसाय में काम बढ़ेगा, अगर कोई व्यक्ति अपना अलग राये रखता है, तो उसे डराया जाता है और डरा हुआ व्यक्ति सब करने को तैयार होता है ।

उन्हें बताया जाता है कि घी को आग में डाल दें, लेकिन घी को आग में डालने से वह नष्ट हो रहा है परन्तु वह समझता नहीं रहा है, घी को लोगो के खाने के लिए उपयोग किया जा सकता है ।

लेकिन भयभीत व्यक्ति कुछ भी करने के लिए तैयार है, उसे ओर बेवकूफ बनाने के लिए, कहीं पूजा अनुष्ठान के नाम पर भरी भरकम रुपया पैसा बर्बाद करवाया जाता है ।

भयभीत व्यक्ति को कहीं भी झुकाएं, झुकने से पहले उसे डराना आवश्यक है, अन्यथा वह कैसे झुकेगा? ? ?

वह डर गया है वह डर गया है,

वह किसी तरह अपने डर से ऊपर उठना चाहता है, लेकिन पुजारी उसे डर से ऊपर उठने की अनुमति नहीं देता है,

क्योंकि यदि आपने अपने डर पर काबू पा लिया तो, पुजारी को घर से बाहर होना पड़ जाएंगा ।

पुजारी का व्यवसाय नियमत: लोगो को भयभीत रखना है, वह डरता है यदि लोग पुजारी की बात नहीं मनेगे तो पाप लगेगा है, आप दुख जीवन जिएगे, यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपको नरक मिलेगा, आदि । आपको पुजारी की बात माननी चाहिए ।

इस सब का सार यह है कि आदमी को जितना अधिक भय होगा, उतना ही उसका शोषण होगा ।

बहादुर बने रहें, एक शासक बनना सीखें ।

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