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Ramji-Gond

इतिहास की झलक :- ” रामजी गोंड “

देश के कोयतूर का इतिहास बहुत ही रक्तरंजित रहा है, कोयतूरों ने अपनी स्वतंत्रता, रीति-रिवाजों और आत्मसम्मान के साथ कभी समझौता नहीं किया है, कभी मरने और मारने से नहीं डरते थे, इसके कई उदाहरण हैं….।

ऐसा ही एक उदाहरण है रामजी गोंड, जिन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र में समझौता किए बिना राज्य के संरक्षण और स्वाभिमान के लिए शहीद होना बेहतर समझा।

रामजी गोंड का जिला आदिलाबाद वर्त्तमान तेलंगाना, निर्मल, उत्नूर, चेन्नुरू, असिफाबद, नागपुर, चाँद और बस्तर जिले के कुछ क्षेत्र पर अधिकार था और वहां के मुख्य गोंड सरदार थे।

रामजी गोंड ने गोरिल्ला युद्ध तकनीकों से ब्रिटिश और हैदराबाद के “निज़ाम आसफ जहाँ पंचम” को हराया और अपने गोंडवाना क्षेत्र को बचाया।

हैदराबाद के “निज़ाम आसफ जहाँ पंचम” ने विस्तारवाद के कारण गोंडो द्वारा शासित आसपास के क्षेत्रों को निजामशाही में विलय करने के लिए इन पर आक्रमण किया और अंग्रेजों से मदद ली, लेकिन रामजी गोंड ने इस विस्तारवाद का विरोध किया और, अपने हजारों सेनिको को युद्ध के लिए गठन किया और गोरिल्ला युद्ध तकनीक में अच्छी तरह से पारंगत किया। इस सेना ने निज़ाम को युद्ध में हाराया और अंग्रेजों को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा ब्रिटिस गवर्मेंट ने कर्नल रॉबर्ट को रामजी गोंड का दमन करने के लिए भेजा।

अंग्रेजों ने चांदा और मराठवाड़ा के गोंड साम्राज्य को दबाया और आसिफाबाद तक आगे बड़ने लगे इस दौरान अंग्रेजों को बड़े पैमाने पर नुकसान और क्षति हुई। अंग्रेजों को ओर आगे बदने से रोकने के लिए उसी समय, रामजी गोंड ने अपने हजार से अधिक गोंड सैनिकों के साथ निर्मल गाँव में डेरा डाला, यह खबर अंग्रेजों तक पहुँच गया था। 8 अप्रैल, 1857 को अंग्रेजों ने निर्मल गाँव को निज़ाम की मदद से घेर लिया।

अंग्रेजी सेना ने रामजी गोंड से युद्ध किया जिसमे रामजी गोंड की पराजत हुई और उन्हें गिरफ्तार कर के कैद कर किया गया। 9 अप्रैल, 1857 को, जलियांवाला बाग की तुलना से भी अधिक क्रूर और निर्मम हत्याकांड यहां देखा गया, जब कर्नल रॉबर्ट के इशारे पर 1,000 से अधिक गोंड सैनिकों को उस गाँव के बरगद के पेड़ से लटका दिया गया था। यह नरसंहार इतना बड़ा था कि इसने बरगद के पेड़ का नाम वेय्यी पुरेला चेत्तू (खोपड़ीयों का पेड़) और वेय्यी पूरेला मारी रखा।

रामजी गोंड को भी बरगद के पेड़ में फांसी पर लटका दिया गया था। और इस क्रूरता के 1 महीने बाद, आजादी की लड़ाई शुरू हो गई थी।

देश के कोयतूरों ने बहुत पहले से ही अंग्रेजों और डिकूओं के खिलाफ युद्ध शुरु कर दिया था। हाल ही में केंद्र सरकार ने 9 जनजातीय संग्रहालय के डेवलपमेंट योजना में रामजी गोंड की मूर्ति आइडल के रूप में शामिल किया। उनमे से तेलंगाना का ट्राइबल म्यूज़ियम एक है।

सेवा जोहार, सेवा गोंडवाना


1 जनवरी 1948 और 2 जनवरी काला दिवस | खरसावां गोलीकांड

कोशीबाई और वेरियर एल्विन | वेरियर एल्विन के द्वारा लिखी किताब ‘The Baiga’

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