

?कोयावंशीय गोंड समुदाय ज्यादातर खेती पर निर्भर करते है और नाग खेती में फसल को नुकसान करने वाले चूहे के संख्या को कम करते है इसलिए इस प्रकृति के रेंगने वाले जीव सत्वो की शक्ति के रूप में हम सब उपासना करते है ।
रेंगने वाले जीवाश्मो में नाग या भुजंग सबसे जहरीला होता है । इसके द्वारा किये हुवे दंश से बचना असंभव होता है । शहरो में आसानी से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो जाती है लेकिन दुरदराज जंगलो में बसे हमारे सगाजन को जल्द उपचार मिल नहीं पाता इसलिए काफी सगा की मौत भी हो जाती है ।
नाग एक तरह से खेती के चूहे को कम करकर फसलो को सुरक्षा प्रदान कर एक तौर पर नाग हमारी सेवा करता है । नाग वैसे बहुत जहरीला होता है पर स्वयं होकर किसी को नुकसान नहीं पोहचाता । उसे दुःख पहुचाने पर ही वह दंश मरता है । धरती पर पाए जाने वाले हर जीवाश्मो का विशेष भोजन है । हर जीवाश्म एक दुसरे पर निर्भर है याने प्रकृति संतुलन सुचारू रूप से चलता रहे । एक रक्षक है तो दुसरा भक्षक है । इसलिए सभी जिवाश्मो का प्रकृति का संतुलन बनाये रखने में बड़ा योगदान होता है ।
सोचिये साप नहीं रहे तो कीड़े, मकोड़े, बेडक, चूहो की संख्या इतनी बढ जाएँगी की प्रकृति का संतुलन बिगड़ सकता है । नाग यह रेंगने वाले प्राणी का राजा है इसलिए इसकी उपासना कर प्रार्थना की जाती है की अपने दायरे में रहकर गंड जीवो को दुःख न पोह्चाये ।
भुजंग पूजा (नागपंचमी) की सभी सगाजनो को बधाई ।।