

महुआ का पेड़
महुआ भारत का एक उष्णकटिबंधीय पेड़ है जो व्यापक रूप से उत्तरी भारत के मैदानों और जंगलों में पाया जाता है। महुआ का पेड़ लगभग 20 मीटर तक बढ़ता है। इसकी पत्तियाँ पाँच से सात अंगुल चौड़ी, दस से बारह अंगुल लंबी और दोनों ओर नुकीली होती हैं। पत्तियों के ऊपरी भाग का रंग हल्का होता है और पिछला भाग भूरा होता है। गर्मियों में, इसके पत्ते खिलने से पहले फागुन चैत पर आता हैं। पत्तियों की टहनी के साथ, इसकी शाखाओं के सिरों पर कलियों के गुच्छे उभरने लगते हैं, जो कूर्ची के आकार का होता है। इसे महू का कलियां कहा जाता है। कलियां बढ़ती हैं और उनके खिलने पर कोश के आकर का सफेद फूल निकलता है, फूल जो दोनों तरफ और अंदर खुला होता है इसमें भीतर जीरे होते है। महुआ का फूल का उपयोग भोजन के लिए किया जाता है और इसे ‘महुआ’ कहा जाता है। अकाल के दौरान, कोयतुर महुआ को खाया करते थे और जीवित यापन करते थे।
गोंड अपने देवताओं को महुआ के फूल क्यों चढ़ाते हैं ..?
प्रकृति का पवित्र फूल – महुआ का फूल
पृथ्वी का प्रत्यक्ष कल्प पेड़ ~ महुआ का पेड़,
इस धरती का अमृत — महुआ का फूल
ब्राह्मण मंदिर को भगवान का घर मानते हैं, इन मंदिरों के देवी और देवताओं के बीच, भक्तों द्वारा प्रतिदिन कई प्रकार के सुगंधित फूल चढ़ाए जाते हैं। चार घंटे के बाद उस भगवान पे चडाया गया फूल मुरझा जाता है और आठ घंटे के बाद सड़ जाता है। बारह घंटे के बाद, भगवान को चढ़ाए गए सुगंधित फूल से बदबू आने लगती है …
अब इस तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए कि जब मंदिर के भगवान की दृष्टि इस पापी शरीर को शुद्ध किया जाता है…। फिर उस देवता में जो फूल चडाते है वह सड़ना और बधबू नहीं मरना चाहिए … बल्कि शुद्ध होना चाहिए और दोहरी खुशबू देनी चाहिए,
लेकिन ऐसा नहीं होता है, भगवान में चढ़ा फूल बुरी तरह से महकता है, तो एक व्यक्ति कैसे शुद्ध हो सकता है ..? इस पर विचार करना है ..!
इसीलिए हमारे पूर्वज हमारे देवताओं को महुआ के फूल चढ़ाते हैं …….
क्योंकि महुआ का फूल अमृत के सामान एक एक बूंद करके टपकता है, और उसे एक-एक करके उठाते हैं। इसे सुखाने के बाद एक साल, दो साल, दस साल, बीस साल, पचास साल, सौ साल …तक रखने के बाद इस पर पानी डालकर भिगोते है तो वही ताजगी, वही रंग, वही शक्ल, वही खुशबू वही स्वाद रहता है, जब वह पेड़ से टपकता था …
प्रकृति ने महुआ का फूल को छोड़कर इस धरती पर ऐसा कोई फूल नहीं बनाया है, जो कई दिनों, कई महीनों, कई सालों तक ताजा रहे।


महुआ का फूल की खास बात…!
1) महुआ का फूल उम्र बढाने के लिए एक सम्पूर्ण टॉनिक है ..!
2) महुआ का फूल एक पौष्टिक आहार है जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
3) महुआ का लाटा (लड्डू) खाने से दांत मजबूत रहते हैं …!
4) अकालकाल के दौरान, आदिवासी लोग महुआ के फूल की रोटी, लाटा (लड्डू) खाकर अपनी जीवन को बचाए थे ..!
5) कमजोरी की स्थिति में, डॉक्टर आपको टॉनिक देता है और इसमें 90% अल्कोहल (महुआ के फूल का अर्क) होता है …!
6) हर दिन दो-चार मुट्ठी महुआ के फूल को भूसा के साथ देने से जानवर, बैल, भैंस को कभी कमजोरी नहीं आती …!
7) महुआ का चोंप (गोंद्) निकालते है, कोठी, डोली अनाज को नुकसान पहुचने वाले चूहे और पक्षी को फंसाने का काम आता है ..!
8) महुआ का फल (गुल्ली) से तेल निकालकर घर पर इस्तेमाल करते हैं, आज ऐसा नहीं हो रहा है, इसलिए महंगाई बढ़ गई है, बाजार हम पर हावी है…!
9) महुआ की लकड़ी का कोयला बहुत गर्म होता है, इसकी ताप लोहा को जल्दी से गलाता है, पिघले लोहे से हंसिया, फावडा, कुदाली, गैती आदि कृषि औजार को बनाया जाता है!
10) ज़ाचकी के बाद शारीरिक दर्द को कम करने और रक्त को शुद्ध करने के लिए, वे महुआ के फूल का तरल (जब जचकी का बत्तीसा दवाई नही मिलता था)) को एक छोटी सी मात्रा दवा के रूप में देते थे, लेकिन कोई दवा, शराब, पदार्थ या पौष्टिक आहार, अगर शरीर में बहुत अधिक मात्रा में देता है, तो शरीर को नुकसान होता है ..!
11) कोयतूर गोंड समाज में सगाई करने की परंपरा को मंद चुहाई का नेग कहते है ..!
12) पूजा पाठ के रूप में, महुआ को आंगापेन को अर्पित करते है…!
13) महुआ के फूल का उपयोग तीन संस्करणों जन्म, विवाह और मृत्यु में किया जाता है …!
14) यह प्रतिरोधक छमता बढ़ाने के अलावा, भोजन के रूप में शक्तिशाली वर्धक और स्फूर्ति दायक है। महुआ के फूल को एक प्लेट खाएँ, इससे खून साफ़ रहता है, पाचन संबंधी बीमारियाँ नहीं होती हैं, पाचन अंग स्वस्थ रहते हैं…!
15) इसके ताजे फूलों का पेस्ट लगाने से त्वचा में निखार आता है। इसे घृतकुमारी, चंदन, हल्दी के साथ मिलाकर लगाने से अधिक प्रभाव पड़ता है।
16) ताजे फूलों के रस का सेवन एनीमिया, हड्डियों और आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद है। शक्ति वर्धक, वीर्य कमियों और प्रजनन विकारों को दूर करता है।
17) सूखे हुए फूल को जलाकर गुल्ली / टोर का तेल मिलाकर घाव वाली जगह पर लगायें, घाव जल्दी सूख जाते हैं।
18) ताजे फूल नियमित रूप से खाने से कटिस्नायुशूल(साईटिका) दूर होता है। रक्त से अशुद्धियों को हटाकर संचार को नियंत्रित करता है। ताजे फूलों का सेवन डायबिटीज के लिए भी फायदेमंद है।
19) सूखे साल(पेड़) बीज और सूखे महुआ के फूलों को मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है और भोजन के रूप में स्वीकार किया जाता है। यह पोषण, पाचन और पाचन संबंधी विकारों के साथ-साथ मधुमेह को नियंत्रित करने में अधिक प्रभावी है।
20) मिट्टी के बर्तन से भुने सत्तू या लड्डू का बिस्कुट (आटा) और टोस्ट (आटा) मातृ माताओं के लिए फायदेमंद है। प्रसव के समय सेवन से ताकत बढ़ती है, दर्द और दूध बढ़ता है। सदियों से इरुक की इस औषधीय गुणवत्ता के ज्ञान और विश्वास के कारण, आज भी, आदिम समाज की अधिकांश माताओं को घर पर प्रसूति करना पसंद है।


महुआ का पेड़ प्रकृति का एक अनमोल उपहार है …
यूँ कहा जाये
* यदि महुआ फूल को इस भूमि का अमृत कहा जाता है * और * महुआ के पेड़ को इस भूमि का कल्प वृक्ष कहा जाता है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी * ..!