

जो लोग सोचते हैं कि वे एक सिख, मुस्लिम, हिंदू, ईसाई से आए हैं, उन्हें नीचे दी गई छवि में मछली, सांप, पक्षियों और मनुष्यों जैसे जीवों के पहले भ्रूण को देखना चाहिए।
हम सब बिल्कुल एक जैसे हैं… क्योंकि हर किसी की ज़िंदगी की शुरुआत एक ही बैक्टीरिया से होती है! सबका खून है लाल, सबने अपने-अपने जीवन के अस्तित्व को बचाने के लिए अपने-अपने मौसम के हिसाब से बदलाव किए हैं, तो कोई पक्षी, कोई जानवर इंसान बन गया है! इस संसार में मनुष्य के अतिरिक्त किसी अन्य जाति को किसी देवता की आवश्यकता नहीं है और न ही कोई किसी देवता पर आश्रित है। धर्म, जाति, ईश्वर, ये सब मानव मन की उपज हैं। ईश्वर का अस्तित्व न किसी को मिला है और न कभी मिलेगा! ऊपर से कोई हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई नहीं टपका है, लेकिन आप डींग मारते रहते हैं।
मनुष्य जहाँ आया है, वहाँ केवल ईश्वर का नाम है, मनुष्य के मन में भय के लिए उसे ईश्वर के नाम का सहारा चाहिए, और मनुष्य के मन में केवल काल्पनिक भगवान वास करते हैं! इंसान बनो और मानवता की रक्षा करो! इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं, जो उसे हमेशा अहिंसक बना दे, अगर आपका धर्म, जाति, ईश्वर का काल्पनिक विचार आपको हिंसक (और धर्मों के लोगों के खिलाफ) बनाता है, तो आप धार्मिक नहीं बल्कि विकृत विचार के गुलाम हैं!
कोशीबाई और वेरियर एल्विन | वेरियर एल्विन के द्वारा लिखी किताब ‘The Baiga’