

गोंडवाना के वनस्पति क्षेत्रो में पहली बरसात के बाद मिलने वाला खट्टामीठा फल यानि कोसम (कुरखेडा) फुसेंग (भामरागढ़) और परेंग (देवलापार) के नाम से भी जानते है।
कुसूम (कोसम) की उपेक्षा…..! कुसूम का फल, अधिकांश गोंडवाना क्षेत्र के ग्रामीण अंचलो में पाया जाता है और लोग बड़े चाव से इसे खाते है । देवलापार से कुरखेडा से भमरागढ़ से बस्तर इस गोंडी छेत्र में मौसमी फलों की बंपर पैदावार होती है । कोईतुर गोंड जंगलों से इन फलों को लाकर बेचते है जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है ।
कुछ फल ऐसे हैं जिनकी उत्पादकता अधिक है लेकिन लोकप्रिय नहीं होने के कारण खपत शून्य है। उन फलों में से एक कुसुम है।
कुसुम एक गोल, बेर के आकार का फल है। ऊपर हरा रंग का आवरण होती है, मध्य में संतरे रंग का मीठे परत होता है जिसे खाते है, अंदर बीज होता है।
बाजार में इस फल की मांग बहुत कम है इसलिए इसे बहुत कम लोग तोड़ते है और यह पेड़ों पर ही सड़ जाता है। पहली बारिश के 1 महीने के बाद पक कर गिरने लगता है।
इसका खटटा मीठा स्वाद होता है। इस फल से विटामिन सी प्राप्त होता है। मीठे कुसुम फल ज्यादा पसंद किये जाते हैं।
यह फल का तेल पेट्रोलियम जेली की तरह व्यवहार करता है।
अलग अलग क्षेत्र अलग अलग नाम से जाना जा सकता है।
गोंड गोंडी गोंडवाना
मैंने भी कोसम काफल पहली बार खाया तो काफी स्वादिष्ट लगा