

आपने अपने स्थानीय बाजारों में काले भूरे मिटटी के रंग का कंद देखे होंगे। कई लोग इस कंद से परिचित होंगे और कुछ लोग नहीं होगे । इसकी सब्जियां खाई और चटकारे वाली होंती है। इस कंद को कोचई कहा जाता है। कहीं-कहीं इसे अरबी के नाम से भी जाना जाता है। एक लोकप्रिय सब्जी होने के अलावा, यह बेहद गुणकारी भी है। इसे खाने से शरीर को कई फायदे होते हैं।
गोंडी बोली में इस सब्जी को गुंडें कहते है। यह गले में जिमी कंद की तरह खुजली करता है, इसलिए इस सब्जी को बनाते वक्त इसमें खटाई डाली जाती है। इसके पत्ती की तने का सब्जी को ‘पीखी साग’ कहा जाता है। पिसा उडद के ऊपर इसकी पत्ती लपेटकर सब्जी बनाई जाती है। जिसे हम “सहिगोडा” कहते हैं। इसकी एक प्रजाति हमारे घर में भी है। यह बड़े और काले गहरे रंग का तना होता है, इसकी पत्तियाँ व तना तोड़ कर दूध निकला जाता है। यह बिल्कुल खुजली रहित होता है। इसे उबालकर बड़े चाव से खाया जाता है। इनकी सब्जी बहुत स्वादिष्ट होती है। स्थानीय बस्तर के लोग इसे झींगा और सुक्सी के साथ पकाना बनाते हैं। कुछ लोग इसके पत्तों से बने पकौड़े खाना पसंद करते हैं और कुछ लोग उड़द की दाल के साथ सब्जी सैगोड़ा मिलाकर बनाया जाता है।
इसकी सब्जी खाने से रतौंधी दूर होती है।
इसमें विटामिन सी और ए के अलावा कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, प्रोटीन होता है और डायबिटीज में इंसुलिन का संतुलन बनाए रखता है और पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखता है। यह एक वनस्पति सब्जी है, इसकी प्रकृति ठंडी है। कोचई के पत्ते से “इढ़ड़” की स्वादिस्ट सब्जी बनाई जाती है। इसमें भरपूर मात्रा में vitamin C पाई जाती है इसलिए जिनको पथरी की समस्या होती है उन्हें इससे दूर रहना चाहिए ।
गोंड गोंडी गोंडवाना