

गोदियन क्षेत्र में पहली बारिश से आता है यानि #बड्डूर ता करील, #वास्ता, #करकु, #बास्ता
#बड्डूर/बांस का उपयोग न केवल रोजमर्रा की वस्तुओं में किया जाता है, बल्कि कोइतूर गोंड क्षेत्र में बांस की सब्जियां भी खाई जाती हैं। बांस की नई टहनियों को सब्जी के रूप में बड़े चाव से खाया जाता है। इन कोपलों को मूलतह बास्ता या करील कहा जाता है।
जून से अगस्त के बीच बांस के गुच्छों में नए अंकुर (बास्ता) काटे जाते हैं, जिसे स्थाइए बाजार में भी बेचा जाता है।
बास्ता में सायनोजेनिक ग्लुकोसाईठ, टैक्सीफाईलीन और बेंजोईक एसिड होते हैं। जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।
यह तृषाशामक, उत्तेजक, कफनाशक है। चूंकि यह एंटीरेबीज और कृमिनाशक है, इसलिए इसका उपयोग ग्रामीणों द्वारा भोजन में किया जाता है।
करील अथवा बास्ता का उपयोग अचार बनाने के लिए भी किया जाता है। बांस केवल ग्रामीण क्षेत्रो में उपलब्ध है इसलिए इसे ज्यादातर कोय्तुर ही इसकी बनी सब्जी का स्वाद ले पाते है। औषधीय गुणों के कारण इसकी काफी मांग है।