

बड़ी बहन – किस्टोमानी
चार छोटी बहनें छोटे भाई – रघुनाथ और जयश्री
जयपाल सिंह मुंडा (1903-1970)
पारिवारिक नाम – प्रमोद पाहन
लोकप्रिय उपनाम – मरड गोमके
समुदाय – मुंडा
गोत्र – होरो (कच्छप)
गाँव – टकरा पाहनटोली, खूँटी (झारखण्ड)
माँ – राधामुनी
पिता – अमरु पाहन
कौन थे जयपाल सिंह मुंडा?
जयपाल सिंह मुंडा कोयतूर समाज और झारखंड आंदोलन के सर्वोच्च नेता थे। वह एक प्रमुख राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक, संपादक, शिक्षाविद्, अभिनेता और योग्य प्रशासक थे। जिन्होंने झारखंडी राज्य के दर्शन, संस्कृति, पहचान और झारखंडी राज्य के लिए अपना पूरा जीवन संघर्ष किया। जिस तरह से जयपाल सिंह मुंडा ने कोयतूरों के इतिहास, दर्शन और राजनीति को प्रभावित किया, जिस तरह से झारखंड आंदोलन ने अपने बयानों, संगठनात्मक कौशल और रणनीतियों के साथ भारत की राजनीति और समाज में खुद को स्थापित किया।
प्रारंभिक जीवन
जयपाल सिंह मुंडा का जन्म 3 जनवरी 1903 को पाहनटोली, खूंटी में हुआ था। उनके माता का नाम राधामणी और पिता का नाम अमरू पाहन था। उनके बचपन का नाम प्रमोद पाहन था। उनका घर टकरा पाहन टोली स्थित पहाड़ी में खपरा और मिट्टी से बना हुआ था, लेकिन बिना किसी देखभाल के उनका घर ढह गया। वो चाहते तो अपने लिए एक आलीशान घर बना सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उस मोटे घर के अलावा, जयपाल सिंह के पास कोई दूसरा घर नहीं था।
शिक्षा दीक्षा
1903 – 3 जनवरी जन्म
1908 – संत पाल प्राइमरी स्कूल, टकरा प्राथमिक शिक्षा लूकस मास्टर से प्राप्त की ।
1911 – संत पाल स्कूल, राँची में दाखिला लिया ।
1918 – नवम्बर में संत पाल स्कूल, राँची में प्रिंसिपल केनोन कांसग्रेस (1857-1936) के साथ इंग्लैंड के लिए रवाना ।
1918 – 20 दिसम्बर को डार्लिंगटन, इंग्लैंड पहुँचे ।
1918 – इसाई धर्म की दीक्षा (बपतिस्मा) ली ।
1919 – संत अगस्तीन कॉलेज, केंटराबरी, इंग्लैंड में दाखिला ।
1922 – संत जान कॉलेज, आक्सफोर्ड से मट्रिक किया ।
1923 – से 1928 तक हाकी, फुटबाल, क्रिक्रेट, रग्बी, घुडसवार के नियमित खिलाडी रहे । हाकी में कॉलेज, युनिवर्सिटी और इंग्लैंड के प्रोफेशनल टीमों की कप्प्तानी की ।
1924 – डिबेटिंग सोसायटी, संत जान कॉलेज, आक्सफोर्ड के महासचिव बनाए गए ।
1924 – आक्सफोर्ड युनिवर्सिटी जनरल ‘आई०सी०एस०’ में स्पोर्टस पर नियमित रूप से कालम लिखना शुरू किया । साथ ही द टाइम्स और तब के प्रमुख पत्र – पत्रिकाओं में खेलों पर लगातार लिखने लगे ।
1925 – डिबेटिंग सोसायटी, संत जान कॉलेज के अध्यक्ष निर्वाचित हुए । कॉलेज एस्से सोसायटी के सदस्य बने ।
एक अंतर्राष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी
1925 – आक्सफोर्ड हाकी ब्लू होने वाले पहले एशियाई बने ।
1926 – इंडियन स्टूडेंट हॉकी फेडरेशन, इंगलैंड की स्थापना की ।
1926 – संत जॉन कॉलेज, आक्सफोर्ड से एम०ए० हुए ।
1927 – आई०सी०एस० के लिए चयनित हुए । प्रशिक्षण शुरू ।
1928 – आई०सी०एस० का त्याग किया ।
1928 – मई, भारतीय ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान बने । पहला ओलंपिक मैच 18 मई को बेल्जियम के खिलाफ ।
1928 – नवंम्बर में कप्तानी छोड़ दे ।
1928 – शोल ट्रांसपोर्ट एंड ट्रेडिंग कंपनी, लंदन में प्रशिक्षु हुए ।
1929 – बर्मा शेल कंपनी, कलकत्ता के मार्केटाइल असिस्टेंट बने ।
1929 – मोहन बागान, कलकत्ता के हॉकी एसोसिएशन के सेक्रेटरी बने ।
1929 – बंगाल हाकी एसोसिएशन के सदस्य बने ।
1929 – इंडियन स्पोर्टस काउंसिल के सदस्य बने ।
1929 – भारतीय अखबारों में खेल समीक्षाएँ लिखना शुरू किया ।
1929 – 4 नवम्बर को एसोसिएशन सोसायटी आफ बगाल के सदस्य चुने गए ।
परिवार जीवन
1932 – 15 जनवरी को तारा मजुमदार से दार्जलिंग में विवाह किया ।
1934 – अचिमोता कालेज, गोल्ड कोस्ट, घाना (अफ्रीका) में प्रिंसिपल रहे ।
1936 – बीकानेर स्टेट में विदेश मिनिस्टर रहे ।
1937 – रामकुमार कालेज, रायपुर में प्रिंसिपल हुए ।
1938 – भारत लोटने व नवम्बर में रायपुर की नौकरी छोड़ने के बाद पहली बार पटना होते हुए रांची और अपने गाँव आए ।
1938 – दिसम्बर के पहले सप्ताह में आदिवासी महासभा के नेताओं के साथ पहली मुलाकात ओर बैठक हुए ।
1939 – 20 जनवरी को आदिवासी महासभा में शामिल हुए और अध्यक्ष की ।
कार्य क्षेत्र
जयपाल सिंह मुंडा का व्यक्तित्व और प्रतिभा को देखते हुए उन्हे पादरी बनाने के लिए ही इंग्लैंड में उच्च शिक्षा के लिए भेजा गया था लेकिन बाद में उनहों पादरी बनाने से इंकार कर दिया। लंदन से लौट कर आने बाद उनहों ने कोलकाता में बर्मा सेल में नौकरी जॉइन कर ली बाद में रायपुर स्थित राजकुमार कॉलेज के प्रिंसिपल नियुक्त हुए। इसी क्रम में कुछ दिनों तक बीकनेर नरेश के यहाँ राजस्व मंत्री की नौकरी भी की। इस पादरी बनने के क्रम में ही उनके दिमाग में आदिवासी शब्द की बीज डाले गए जो उनके दिमाग से अंत तक नहीं निकले और उसी आदिवासी शब्द के कारण ही वे प्रसिद्ध भी हुए और बदनाम भी हुए हैंl
सामाजिक और राजनैतिक जीवन
1939 – 17-19 मार्च को रामगढ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन के समानांतर सुभाष चंद्र बोस की सभा करवाई ।
1939 – मई में राँची व सिंहभूम जिला बोर्ड चुनाव में भागीदारी ।
1939 – 25 अप्रैल को सिमको (झारखण्ड – ओड़िसा बॉर्डर) पर गंगापुर स्टेट व ब्रिटिश पुलिस ने सैकड़ों कोयतुरो को मार डाला । जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में आदिवासी महासभा ने विरोध किया ।
1939 – ‘आदिवासी सकम’ साप्ताहिक पत्र की शुरुआत की ।
1940 – पटना में बिहार कोंग्रेस अध्यक्ष डॉ०राजेंद्र प्रसाद से मिलकर बिहार बजट का एक-तिहाई झारखण्ड पर खर्च करने, डिग्री कॉलेज खोलने, आबादी के अनुपात में शिक्षा एवं सरकारी नोकरीयों में प्राथमिकता देने की माँग की ।
1940 – 12 अक्टूबर को ‘आदिवासी सनातन सभा’ ने चमरा मुंडा की अध्यक्षता में बैठक कर जयपाल सिंह को आदिवासियों ने नेतृत्व से बहिष्कृत करने की घोषणा की ।
1942 – से 1946 तक सेकेंडरी बोर्ड ऑफ़ एजुकेशन के सदस्य ।
1943 – से 1946 तक सिविलियन एडवाइजर इस्टर्न कमांड सर्विस सिलेक्शन बोर्ड के लिए सैनिक भारती का कार्य किया ।
1944 – से 1945 तक ए०आर०पी०, राँची के चीफ वार्डन रहे ।
1946 – चुनाव में खड़े हुए और हारे ।
1946 – बिहार सरकार को कोयतूर हितों के लिए ज्ञापन दिया ।
1946 – जुलाई में संविधान सभा के लिए चुने गये और 1949 की जनवरी तक संविधान सभा की पूर्णत: वर्जित एवं आंशिक वर्जित जनजातीय क्षेत्र (असम को छोड़कर) के सदस्य रहे ।
1946 – कमेंटेटर आन वर्ल्ड एंड पोर्लियामेंट्री अफेयर्स इन द ए०आई०आर० सर्विस में रहे ।
1946 – 30 अप्रैल को संविधान सभा में आदिवासी जमीन के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की ।
1947 – से 1949 तक इकोनामी कमिटी के सदस्य रहे ।
1947 – मुस्लिम लीक के साथ गठजोड़ बनाया ।
1947 – ‘आदिवासी लेबर फेडरेशन’ की स्थापना की । 16 मार्च, 1947 को जोड़ापोखर, झिंकपानी (सिंहभूम) में मजदूरों की एक बड़ी सभा आयोजित हुई । जयपाल आदिवासी लेबर फेडरेशन के अध्यक्ष और ब्रजमोहन बारी सचिव चुने गये ।
1947 – 13 अप्रैल को आदिवासी महासभा अधिवेशन, रांची में सम्मेलन की अध्यक्ष की ।
1947 – 15 नवम्बर को दिल्ली में नेहरु के साथ आदिवासी स्वायतता पर एतिहासिक वार्ता हुई । सरदार पटेल, अबुल कलाम आजाद, सरोजनी नायडु, काका साहब कालेलकर इसमें शामिल थे । राष्ट्रीय योजना के पहले अध्यक्ष जे०सी० कुमारप्पा और वैरियर एल्विन इस बातचीत में विशेष रूप से मौजूद थे ।
1948 – 1 जनवरी को सरायकेला- खरसावं में ओड़िसा सरकार द्वारा कोयतुरो का जनसंहार ।
1948 – विरोध में 11 जनवरी को चाईबासा में विशाल प्रदर्शन । प्रदर्शन को संभोधित किया ।
1948 – 28 फरवरी को आदिवासी महासभा के अधिवेशन को रांची में सम्भोधित किया ।
1948 – झारखण्ड की देशी रियासतों का बिहार में विलय के लिए स्वीकृति और झारखण्ड के आदिवासी क्षेत्रों का बंगाल ।
1948 – 2 दिसम्बर को संविधान से आदिवासी शब्द हटाने का विरोध किया । आदिवासी शब्द की जगह ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द का प्रस्ताव डॉ० आम्बेडकर ने पेश किया था ।
1950 – 1 जनवरी को आदिवासी महासभा की जमशेदपुर में आयोजित अधिवेशन में महासभा, एक राजनैतिक पार्टी बनाते हुए ‘झारखण्ड पार्टी’ की घोषणा ।


1950 – दिल्ली फ्लाईग क्लब के अध्यक्ष बने ।
1951 – ध्यानचन्द्र हाकी टूर्नामेंट के अध्यक्ष बने ।
1952 – मार्च में हुए प्रांतीय एवं केन्द्रीय चुनावों में भाग लिया । झारखण्ड पार्टी के 32 विधायक और 4 सांसद पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘मुरगा’ पर जीते । स्वयं रांची पश्चिम (खुंटी) संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए ।
1952 – तारा मजुमदार के साथ क़ानूनी संबंध-विच्छेद हुआ ।
1952 – 7 मई को जहाँ आरा जयरत्नं के साथ दूसरा विवाह ।
1952 – तारा तीनों बच्चों – सीता, जोया और बेटे अमर के साथ इंग्लैंड में जा बसी ।
1952 – रेलवे बोर्ड, शेड्यूल कास्ट, शेड्यूल ट्राइबल एंड अदर्स बैकवर्ड कलासेस क्लासेस स्कालरशिप कमेटी, प्रेस कमीशन और एस्टीमेट कमिटी के मेम्बर बने ।
1953 – पार्लियामेंट स्पोर्टस क्लब के जनरल सेक्रेटरी बने ।
1954 – 22 अप्रैल को पटना में राज्य पुनर्गठन आयोग को अलग झारखण्ड प्रांत के लिए ज्ञापन ।
1954 – 17 दिसम्बर को जहाँआरा से पहले पुत्र बिरसा जयपाल का राँची में जन्म ।
1955 – 2 फरवरी को राज्य पुनर्गठन आयोग झारखण्ड आया । छल से बिहार के कांग्रेससियों ने जयपाल सिंह मुंडा को आयोग के समक्ष जाने से रोका ।
1957 – चुनाव में भागीदारी । झारखण्ड पार्टी के 34 विधायक और 5 सांसद जीते । खुंटी से संसद के लिए दोबारा विजयी ।
1957 – 28 फरवरी को दुसरे पुत्र जयंत जयपाल का जन्म ।
1957 – से 1961 तक इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी द्वारा देश में खेलों की स्थिति पर गठित तीन सदस्यीय जाँच समिति के सदस्य रहे ।
1958 – पत्नी जहाँआरा राज्यसभा के लिए निर्वाचित ।
1959 – जून में 23 साल बाद यूरोप और अमरीका की यात्रा की ।
1959 – पुत्र जानकी जयपाल का जन्म 19 जुलाई को ।
1959 – अगस्त में वर्ल्ड अफेयर्स काउंसिल को सम्बोधित किया ।
1959 – यू०एन०ओ० की बैठक में भाग लिया ।
1959 – ओकाहोमा आदिवासी नेशन, अमरीका में सम्मानित हुए ।
1962 – चुनाव में झारखण्ड पार्टी के 22 विधायक और 5 सांसद जीते । खूँटी सेतीसरी बार संसद के लिए विजयी ।
1963 – 20 जून को झारखण्ड पार्टी का कांग्रेस में विलय किया ।
1963 – 3 दिसम्बर को राज्यपाल ने राँची में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई । पंचायत एवं सामुदायिक विकास विभाग का प्रभार मिला ।
1963 – 2 अक्तूबर को मंत्री पद से हटाए गए । मात्र 29 दिन मंत्री रहे ।
1964 – पत्नी जहाँआरा कांग्रेस से राज्यसभा में गई ।
1964 – कांग्रेस की वादाखिलाफी के विरुद्ध संसद ने नेहरु से सवाल किया और कांग्रेस के अखिल भारतीय अध्यक्ष डी०संजीवैया व कोषाध्यक्ष अतुल घोष को पत्र लिखा ।
1964 – जयपाल सिंह मुंडा की माँग पर ‘छोटानागपुर रीजनल बोर्ड’ की स्थापना बिहार सरकार ने की ।
1966 – जहाँआरा इंदिरा मंत्रिमंडल में ट्रांसपोर्ट उपमंत्री बनीं ।
1967 – कांग्रेस की टिकट से खूँटी संसदीय सीट पर विजयी । चौथी बार लगातार सांसद बने ।
1967 – जहाँआरा केंद्रीय पर्यटन व नागरिक उड्डयन उपमंत्री बनीं ।
1967 – मार्च में बीमार हुए । कलकत्ता के नर्सिंग होम में भारती ।
1967 – मई से जुलाई तक समुद्री यात्रा पर रहे ।
1969 – जहाँआरा केंद्रीय शिक्षा उपमंत्री बनीं ।
1970 – 13 मार्च को राँची में आयोजित झारखण्ड पार्टी के सम्मेलन में पार्टी में लौटने की सार्वजनिक घोषणा की ।
1970 – 19 मार्च को कलकत्ता में पूर्व पत्नी तारा से मिले ।
1970 – 20 मार्च को दिल्ली में मस्तिष्क रक्तस्राव (सेरेब्रल हेमरेज) संदेहास्पद अवस्था में मृत्यु । अंतिम संस्कार मुंडा विधि- विधान से गाँव टकरा में हुआ । माँ- बाप के बगल में दफनाया गया ।
1970 – जहाँआरा केंद्रीय शिक्षा एवं युवा विभाग उपमंत्री बनी ।
जयपाल निम्मलिखित समितियों और संगठनों में रहे, जिनकी समयावधि का पता नहीं चल सका –
- अध्यक्ष, छोटानागपुर हाकी एसोसियेशन
- अध्यक्ष, दिल्ली हाकी एसोसियेशन
- अध्यक्ष, दिल्ली क्रिकेट एसोसियेशन
- अध्यक्ष, दिल्ली फुटबाल एसोसियेशन
- सदस्य, दिल्ली फिशिंग क्लब
- सदस्य, दिल्ली जिमखाना क्लब
- सदस्य, दिल्ली गोल्फ क्लब
- सदस्य, दार्जलिंग जिम खाना क्लब
- सदस्य, आल इंडिया काउंसिल ऑफ़ स्पोर्टस
- कार्यकारी सदस्य, नेशनल स्पोर्टस क्लब ऑफ़ इंडिया सदस्य, इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन
- सदस्य, इंडियन ओलंपिक कमेटी
- संस्थापक सदस्य, क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ़ इंडिया सदस्य, नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल
- सदस्य, रेलवे एक्सिडेंट इनक्व़ायरी कमेटी
जयपाल सिंह मुंडा प्रमुख्य उपलब्धियाँ
- देश और खेल के लिए आई०सी०एस० (भारतीय प्रसासनिक सेवा) का 1928 में त्याग करने वाले पहले भारतीय ।
- अंतरराष्ट्रिय स्तर पर पहले भारतीय खेल समीक्षक और रिपोर्टर ।
- देश की ओलंपिक हाकी और औपनिवेशिक दौर में ओलंपिक खेलों में हाकी चैम्पियन बननेवाली पहली एशियाई टीम के पहले कप्तान ।
- देश के पहले कोयतुर शिक्षाविद एवं अंतरराष्ट्रीय शिक्षक गोल्ड कोस्ट, घाना (अफ़्रीकी) ।
- औपनिवेशिक भारत में ब्रिटिश कंपनी में उच्च पद पर नौकरी पानेवाले एकमात्र कोयतुर है ।
- भारत के देशी रियासत (प्रिंसले स्टेट) में विदेश मंत्री का पद पानेवाले एकमात्र आदिवासी हैं ।
- भारत की पहली व्यावसायिक हाकी टीम (मोहनबागान, कलकत्ता, 1929) के संस्थापक ।
- आधुनिक भारत में कोयतुर अधिकार और स्वायत्तता की राजनीति एवं राजनैतिक पार्टी के संस्थापक बोद्धिक नेतृत्वकर्ता ।
- भारतीय राज्यों की सरकार में उपमुख्यमंत्री बननेवाले पहले कोयतुर राजनेता ।
- आदिवासी ट्रेड उनियन के पहले संस्थापक ।
- देश के पहले आदिवासी, जो 1925 से 1967 तक चार बार लगातार सांसद रहे ।
ऐ/सी मिन्ट कुंवर केश्री सिंह | A/C Bharat Sarkar Kutumb Parivar
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