

भोपाल गोंडवाना भू-भाग का एक छोटा सा इलाका है और यहाँ गोंडो का राज था । लगभग 1400 वर्ष यहाँ गोंडो ने शासन चलाया, इनमे कई राजा हुए । भोपाल का इतिहास गोंडो के शासन 350 ई०से शुरू हुआ। 650 ई०के आस पास एक प्रसिद्ध राजा हुए जिनका नाम था भूपाल शाह । राजा भूपाल शाह सलाम अपनी प्रजा के काफी लोकप्रिय राजा थे । उनकी प्रजा ने उन्ही के नाम पे एक बस्ती का नाम भूपाल रख दिया । भूपाल शाह 10 वे या 12 वे गोंड राजा थे । भोपाल में गोंड राजाओ का शासन का शिल-शिला चलता रहा और यहाँ के आखरी गोंड राजा निजाम शाह थे । लगभग 1700 ई०निजाम शाह की पत्नी का नाम कमलापति था, जिनका महल आज भी मौजूद है । उन्ही की महल की छत पर भोपाल का एक बड़ा सा बगीचा है कमलापति पार्क के नाम से जाना जाता है और जो सड़क बनी हुई है तालाब के किनारे कमला पार्क की वह सड़क महल की छत पर है ।


निजाम शाह का एक भतीजा था वह बहुद ही लालची लोभी बेईमान था । निजाम शाह के भाई का बेटा वह शासन में काबीज होना चाहता था, खास तोर पे निजाम शाह की पत्नी को अपना बनाना चाहता था, रिश्ते में चाची थी । रानी कमलापति बेहद हसीन खुबसूरत थी । निजाम शाह के भतीजे ने उनका क़त्ल कर दिया, शासन पर कब्ज़ा कर लिया । इसके बाद वह रानी के पास पहुँचा और शादी करने के लिए कहा । रानी कमलापति ने शादी करने से इंकार कर दिया । उसने रानी को जान से मरने की धमकी बार-बार देने लगा ।इस इलाके के पास मंगलगढ़ में एक बहादुर अफगान सरदार का शासन था । रानी धमकी से परेसान हो कर अफगान सरदार को एक ख़त लिखा और ख़त में लिखा “आपकी बहन बहुत ही बड़ी मुसीबत में है और मुझे आपकी मदद की जरुरत है, मै उम्मीद करती हु की आप अपनी बहन को न उमीद नहीं करेगे और जरुर मदद करेगे” ।


यह ख़त जब दोस्त मोहम्मद खान (1657–1728 ई०) को मिला तब वह तुरंत अपनी फौज को लेकर रानी की मदद के लिए पंहुचा । उसने निजाम शाह के भतीजे से युद्ध किया और उनके भतीजे को युद्ध में मार गिराया । दोस्त मोहम्मद खान रानी के पास पंहुचे और कहा “आपको अब घबराने की जरुरत नहीं है, आप के हिफाजत की जिम्मेदारी अब मेरी है,आप बेफिक्र हो कर रहिये” । रानी उनसे बहुत प्रसन्न हुई और भूपाल इलाके को दोस्त मोहम्मद खान को तोफे के रूप में दिया । भूपाल के पहले नवाब दोस्त मोहम्मद खान हुए । कुछ साल रानी कमलापति भोपाल में रही इसके बाद रानी किला गिन्दोरगढ़ के महल में शिफ्ट हो गई । जब तक रानी जिन्दा रही दोस्त मोहम्मद खान ने उनकी हिफाजत की । जब रानी की प्राकृतिक मृत्यु हुई तब दोस्त मोहम्मद खान ने उस इलाके को भी अपने अधीन में ले लिया । यह इलाका अपने अधीन लेने के बाद किला बनवाना चालू कर किया ।


दोस्त मोहम्मद खान की सिर्फ एक पत्नी थी जिसका नाम फ्तेबिबी था । यह भी कहा जाता है फतेबिबी हिन्दू महिला थी उनका नाम फतेबाई था । जब उनकी शादी दोस्त मोहम्मद खान के साथ हुई तब से उन्हें फतेबिबी के नाम से कहा जाने लगा । 1722 ई० दोस्त मोहम्मद खान ने उन्ही के नाम से एक किले की तामिल की जिसके अंदर पूरा भोपाल शीमट गया था । उस किले का नाम अपनी पत्नी के नाम पर किला फतेगढ़ रखा ।भूपाल का नाम भोपाल कैसे हुआ ?उस वक्त तक इलाके का नाम भूपाल था । भूपाल का नाम भोपाल पड़ाने के दो कारण हो सकता है । पहला यह उस जमाने में उर्दू और फारसी मुख्य भाषा थी । उर्दू में जो लिखा जाता है भूपाल और भोपाल दोनों के नाम की स्पेलिंग एक ही है । दूसरा यह जब अंग्रेज यहाँ आये तो अंग्रेजो ने भूपाल की स्पेलिंग अंग्रेजी में गलत लिख दिया, उन लोगो ने bhoopal की जगह bhopal लिख दिया ।उस दौर मे भी रेलवे स्टेशन पर शहर के नाम का बोर्ड लगा रहता था । रेलवे स्टेशन पर बोर्ड की पुराने तस्वीरों मे देखेगे तब उसमे शहर का नाम तीन भाषा में लिखा हुआ पाएगे, पहला अंग्रेजी में bhopal, दूसरा उर्दू में जैसे लिखा जाता है और तीसरा हिंदी में भूपाल लिखा हुआ पाए गे ।
अपवाद के रूप में बहुत से लोग या कहते है कि राजा भोज के नाम से ही भोपाल शहर का नाम पड़ा और उन्होंने ही शहर को बसाया है । दरअसल वह लोग यह शहर का हिन्दुती कारण करने के लिए राजा भोज द्वारा बनाया गया शहर है इसका प्रचार-प्रसार टेलीविजन,सोशल मिडिया और समाचार पत्रों में करने लगे । इतनाही नहीं राजा भोज की बड़ी सी मूर्ति भोपाल शहर में बनावा दी ताकि लोग इसी भ्रम में रहे ।


दरअसल राजा भोज का भोपाल से कोई तालुक नहीं है । राजा भोज 1010-1055 ई० में हुए थे । यह कहा जाता है की राजा भोज को कोई बीमारी थी और उसी बीमारी की वजह से वह बहुत परेशान थे । उनको कुछ अकिमो वेदों ने यह बताया की आप 9 नदी और 99 नालो का पानी जमा करके और उसकी धार से नहाओ गे तो आप की बीमारी दूर हो जायेगी । राजा भोज की राजधानी धार थी वह धार में रहते थे । उन्होंने अपने लोगो से ऐसी जगह तलास करने को कहा जहाँ 9 नदी और 99 नाले का पानी इकठ्ठा कर सके । लोगो ने उस समय मंडीदीप जो भोपाल के पास में है, जगह तलास की और उस जगह वो तालाब बनवाना चालू कर दिए । जिसके अवशेस आज भी भोजपुर में मौजुद है । जब वह तालाब बन के तैयार हो गया । उसमे एक नदी कम पड़ रही थी तो कालियासोद नाम की एक छोटी सी नदी उसमे मिलाई गई और तालाब पूरा हो गया । तब राजा भोज ने उस नदी में स्नान किया और वही उन्होंने घोषणा की कि यहाँ पर शिव मंदिर बनवाया जाये । उस समय शिव मंदिर बनाना चालू हो गया । शिव मंदिर पूर्ण होने से पूर्व ही राजा भोज की मृत्तु हो गई । यह स्थान भोपाल के नदीक मंडीदीप के पास है जिसका नाम राजा भोज के नाम से भोजपुर रखा गया । उस समय भोपाल से भोजपुर की दुरी लगभग 50 कि०मी० थी और उस वक्त यह फासला कोई मामूली नहीं था ।


कुछ लोग बड़ा तालाब को राजा भोज का भोजपाल तालाब कहने की भी कोसिक कर रहे है । राजा भोज का इस तालाब से और इस इलाके का कोई तालुक नहीं है यह तलाब और यह इलाका गोंडो के द्वारा बनाया गया है ।
गोंड राजा भूपालशाह तो एक आदिवासी था लेकिन यह निजामशाह तो मुस्लिम नाम है उस गोंड राजा भूपालशाह का वारिसान कैसे हुआ मुझे कुछ समझ नही आया।थोङा विस्तार से समझहिये
निजाम नाम है कई आदिवासियों के नाम शुक्ला , तिवारी तो क्या पंडित हो जायेगे? मुस्लिम प्रभाव के निजाम नाम है शाह ठाकुर गोंड लिखते ही है ।
एक बार एक थानेदार जिनका उपनाम तिवारी था किसी जांच में मण्डला जिले के एक गांव में गए तो वहां उसी दिन एक बच्चे का जन्म हुआ जिसका नाम तिवारी लाल रखा गया। जनजातीय बन्धु बिल्कुल भी बनावटी नहीं होते हैं जो है सो है के अंदाज में स्वीकार करते हैं।
इसलिए नाम कुछ भी हो पर राजा गोंड शासक था। आज़ादी के काफी समय बाद तक इनके वंशज राजगोंड लिखते थे और अनारक्षित वर्ग के अंतर्गत थे किंतु बाद में मांग हुई तो राजगोंड भी गोंड जनजाति में सम्मिलित मानते हुए उनको आरक्षित दर्जा दिया गया।
रानी कमलापति का मायका कहा का था वह कौन से राजा की बेटी थी और भुपाल शाह की रानी का नाम क्या था