Hindu-Pandit
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(1)  पहला खूंटा:- ‘ब्राह्मण’

हिन्दू धर्म में ब्राह्मण जन्मजात श्रेष्ठ होता है, चाहे उसका चरित्र कितना भी बुरा क्यों न हो। हिन्दू धर्म में ब्राह्मण के बिना कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता है। यदि कोई विवाह करना चाहता है, तो ब्राह्मण उस दिन या तिथि को तय करता है, यदि कोई नया घर बनवाता है तो उसका भूमिपूजन ब्राह्मण करता है, यदि किसी के घर में बच्चा पैदा होता है, तो उसका नाम ब्राह्मण से रखवाना पड़ता है । मानसिक गुलामी में जीने वाले हिन्दू कभी विवेक या सत्य सुनने के लिए तैयार नहीं होते।

जबकि ब्राह्मण ओबीसी / एससी / एसटी के आरक्षण के विरोध में है! ब्राह्मण ने ओबीसी / एससी / एसटी के लिए शिक्षा, रोजगार, सम्मान का विरोध किया !! इसके बावजूद भी हिन्दू धर्म को ओबीसी / एससी / एसटी पसंद करते है। प्रभावशाली आश्चर्य !!! या कहें दुनिया का आठवां अजूबा! जो एक हिन्दू ब्राह्मण खूंटी से बंधा हुआ है।

(2) दूसरा खूंटा:- ‘ब्राह्मण शास्त्र’

यह जहरीले सांप की तरह ओबीसी / एससी / एसटी समाज के लिए घातक है। मनुस्मृति एक जहरीली किताब है। वेदों, पुराणों, रामायण आदि में, मनुष्य में भेदभाव, उच्च नीच, जातपात का वर्णन किया गया है। जैसे,

ब्रह्मा के मुख से ब्राह्मण,

भुजा से क्षत्रिय,

जांघ से वैश्य,

शूद्र की उत्पत्ति को पैर से बताया गया है, शास्त्रों में उत्पीड़न की व्यवस्था की गई है। हिन्दू शास्त्रों में, एक महिला को बंधक बनाया जा सकता है, बेचा जा सकता है, उधार दिया जा सकता है। हिन्दू समाज इन शास्त्रों द्वारा शासित होता है।

(3)  तीसरा खूंटा:- ‘हिन्दू धर्म के त्योहार’

त्योहार का यदि संधि विक्षेद करे तो त्यों+ हार होता है, जिसका अर्थ तुम्हारी हार होता है मतलब मूल निवासियों की हार है। इस हिन्दू त्योहार में आर्यों द्वारा देश के SC / ST / OBC (मूलनिवासी) की हत्या को मनाया जाने वाला उत्सव है। जब भी और जहाँ भी आर्यों ने मूलनिवासी पर विजय प्राप्त की उस जीत की खुशी में त्योहार मनाया और इसे SC / ST / OBC की हार भी कहा जाता है। इस देश के मूल निवासी त्योहार को अज्ञानता होने के कारण मनाते हैं। उन्हें अपने इतिहास या अपमान का कोई ज्ञान भी नहीं है। वे सभी ब्राह्मणवाद के खूंटे से बंधे हैं। सम्मान और इतिहास खो चुके है। अपने अपमान और विनाश का जश्न मनाएं और दुश्मनों को सम्मान और धन दें, यह सोचने की बात है। होली में होलिका की हत्या और बलात्कार का त्योहार, दशहरा – दीपावली में रावण नरसंहार का त्योहार, नवरात्रि में महिषासुर नरसंहार का त्योहार। किसी भी धर्म के त्योहार पर शराब पीना और जुआ खेलना वर्जित है लेकिन हिन्दू धर्म में होली, दीपावली, नवरात्रि विसर्जन के बाद यह किया जाता है। हिन्दू समाज इस खूंटी से पूरी तरह बंधा हुआ है।

(4) चौथा खूंटा:- ‘देवी देवता’

हिन्दू धर्म में तैंतीस करोड़ देवी देवताओं का वर्णन किया गया है। काल्पनिक देवताओं की पूजा, पुनर्जन्म, पाप-पुण्य, स्वर्ग-नरक, जन्म-मृत्यु अगले जन्म के लिए पूजा आदि करता है और नहीं करने पर इन्ही के नाम पर डराया जाता है।

हिन्दू धर्म में मंदिर-मूर्ति, पूजा, दान-दक्षिणा अनिवार्य है। हिंदू समाज इस खूंटी से बंधा है और अंध श्रद्धा, चमत्कार, अंध विश्वास, पाखंड से हिल जाता है।

(5) पांचवा खूंटा:- ‘तीर्थस्थान’

ब्राह्मणों ने पूरे देश में चारो तरफ तीर्थस्थल खोले हुए है। इन तीर्थ स्थानों में पूजा करना पुण्य और स्वर्ग का मार्ग कहा जाता है। इस विश्वास पर भरोसा करते हुए, सभी ब्राह्मण  obc / sc / st लोगो को दास बना दिया है। बिना बुलाए ही तीर्थ स्थलों पर पहुँच जाते हैं, इन तीर्थ स्थलों के मालिक ब्राह्मण विश्वास की आड़ में सभी लोगो का शोषण करते हैं। समाधान:- ब्राह्मणवाद के इन पांच खूॅटो को उखाड़ने के लिए समस्त शूद्र/अतिशूद्र (obc/sc/st) की जातियों को महात्मा ज्योतिबा फूले के त्रिसूत्र को अपनाना होगा-

1- मूर्ति पूजा बंद करो।

2- जाति-भेद खत्म करो।

3- ब्राह्मण से संस्कार कराना बंद करो।

क्या आपने कभी ऐसा भी सोचा है कि-

“हिन्दू धर्म में वर्ण, वर्ण में शूद्र, शूद्र में जाति, जाति में ऊंच-नींच और ब्राह्मण के आगे सारे नींच… अब गर्व से कैसे कहोगे कि हम हिन्दू हैं ???”  

इसलिए मिशन-

“गुलाम को गुलामी का एहसास कराओ, गुलाम अपनी बेड़ियाँ खुद तोड़कर देगे ।”


महावीर भीमाल पेन और वीर हनुमान क्या एक हैं?

कोया पुनेम के अनुसार स्वर्ग, नर्क व मोक्ष नहीं होता ।

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