

अनुच्छेद ?366(25) तहत आनेवाले किसी भी अनुसूचित जनजाति ट्राइब्स पर #हिन्दूविवाहअधिनियम1955धारा2(2) लागू नहीं होती, जब तक के केंद्र सरकार कोई लोक अधिसूचना जारी नहीं करती अथवा कोई लिखित गेजेट्स जारी नहीं करती।
✍️? अनुसूचित जनजाति ट्राइब्स किसान कबिलों में किसी भी लड़के लड़की शादी के लिए Age Limitations (उम्र का बंधन) अनिवार्य नहीं होता है, अनुसूचित जनजातियों में जब लड़का युवावस्था में पहुंच जाता है और खेती किसानी में परिवारवालों के साथ में हाथ बंटाने लग जाता है अथवा कृषि कार्य जैसें हल, बखर, चलाना, बैलगाड़ी जोतने जैसे काम में बौद्धिक रुप से सक्षम हो जाता है तो अनुसूचित जनजाति ट्राइब्स किसान कबिलों में घरवालों को यह संकेत मिल जाता है कि अब लड़का शादी के लायक हो गया है।
ठिक वैसे ही अनुसूचित जनजातियों में लड़की सुबह जल्दी उठकर पशुगोठान में साफ सफाई का काम करने लग जाती है, रसोई के काम में बौद्धिक रुप से सक्षम हो जाती है, खेती के काम में परिवारवालों के साथ में हाथ बंटाने लग जाती है और सीर पर #बेहड़ाठाहरा(डबल बर्तन एक के ऊपर एक) पानी भरने लग जाती है, तो परिजनों को यह संकेत मिल जाता है कि अब लड़की शादी के लायक हो गई है।
ऐसी परिस्थिति में अनुसूचित जनजाति ट्राइब्स किसान कबिलों में लड़का लड़की की शादी कर दी जाती है, जिसमें गांव के पांच मुखियाओं की सामुहिक कबिलाई सामाजिक व्यवस्था के तहत उनकी सगाई कर शादी का बंधन पक्का कर दिया जाता है।
चूंकि अब आधुनिकता के इस युग में अनुसूचित जनजातियों में भी लड़का लड़की में प्रेम प्रसंग के मामले काफी ज्यादा देखने को मिलते हैं और लड़का लड़की एक दुसरे को पसंद कर भागकर भी शादी कर लेते हैं, ऐसे में कहीं कहीं लड़की के परिजनों की इच्छा नहीं होने से लड़की को गांव गणराज्य ग्रामसभा जाजम के तहत वापस दंड की राशी (लड़की की साड़ी के पल्लू में) बांधकर के सुपूर्द किया जाता है, फिर लड़की वापस भगकर लड़के के घर आ जाती है, ऐसे में कौम कबिले समुदाय में प्रचलित #देजारिवाज के तहत शादी के बंधन में बांध दिया जाता है।
वर्तमान अनुसूचित जनजाति सामाजिक व्यवस्था में यह देखने में आ रहा है कि गांव के राजनीतिक दलों की विचारधारा से प्रेरित छुटभैय्ए अशिक्षित अथवा प्राथमिक शिक्षा पढ़ें नेता(अपने वोटबैंक साधने के हिसाब से) ऐसे मामलों को जानकारी के अभाव में IPC, CRPC, पुलिस चौकी, थानों में लेकर जाते हैं और जबरन #हिन्दूविवाहअधिनियम1955धारा2(2) के तहत घसीटते है, जो कि कानूनी तौर पर #अनुसूचित जनजातियों के किसी भी सदस्य पर लागू नहीं होता। लड़के के परिजनों पर दबाव डालकर लाखों रूपए दंड के रूप में वसुलने का खेल खेलते हैं, जिसमें सभी को छोटा मोटा आर्थिक लोभ प्रलोभन लालच मिल सकें।
ऐसे में अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में स्थापित पुलिस चौकियों और थानों में पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों की यह प्राथमिक संविधानिक लोकतांत्रिक जिम्मेदारी यह है कि अनुसूचित जनजातियों के लड़का लड़की के किसी भी शादी के मामले पुलिस चौकी, पुलिस थानों में आने पर यह बताया जाना चाहिए कि #हिन्दूविवाहअधिनियम_1955धारा_2(2) अनुसूचित जनजातियों के किसी भी सदस्य पर लागू नहीं होता हैं और आप आपकी ग्राम सभा जाजम को मिले संविधानिक लोकतांत्रिक अधिकार अनुच्छेद 13(3)(क) रूढी प्रथागत न्यायप्रणाली पारंपरिक गांव गणराज्य ग्रामसभा को मिले विधि के कानून, लॉ, कस्टमरी लॉ के तहत ऐसे मामलों को आपसी सामुहिक निर्णय से सुलझा ले।
हम अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्र के जिलों के पुलिस कमिश्नर, एसपी अधिकारीयों से यहीं सामुहिक निवेदन करतें हैं कि अनुसूचित जनजातियों के ऐसे मामलों में उन्हें उचित कानूनी जानकारी मुहैया कराकर उन्हें अपने को मिले संविधानिक विशेषाधिकार कानूनी अधिकारों से अवगत कराए, ताकि अनुसूचित जनजातियों में व्याप्त कानून संबंधित भ्रांतियों को समाप्त किया जा सके।
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