पृथ्वी पर कृषि की शुरुआत..में हमारी भूमिका…..कृषि उपकरणों का नामकरण ््््#हरेली त्योहार का नामकरण… #Gondwana के बिखरे ज्ञान की खोज
“#इडिजीनसलैंग्वेज—-#इन्डीजीनसडे”
एक कदम …..गाँव की ओर… भाग- 01
नीचे लिखें शब्दों को गहरी नज़र से देखिए……
“हेर”
“हर्”
“हरिया”
“तता तता” — “माहह् ” — “मामा मामा” –“हर्र—हो हो” … बो हो…




यदि आप खेतों से, गावों से, किसानों से जुड़े हुए हैं तो उपरोक्त शब्दों को आपने कभी न कभी सुना होगा…दादा से…बाबा से…आजो से…मामा से…काका से…. दक्षिण भारत में.. उत्तर भारत में… पूर्वी भारत मे … पश्चिम भारत में भी…. ये हर जगह सुनाई देते हैं क्योंकि ये खेती के मूल प्राचीन शब्द है।
मूल शब्द पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होते हैं
क्योंकि हल चलाना बहुत बारिक अनुभव का काम है।
जिसमें अपने पीढ़ियों का परवरिश का सवाल होता है.. भोजन का सवाल होता है…. इसलिए
उसमें प्रयुक्त शब्द हुबहू हस्तांतरित होते चले जाते हैं…….
इसलिए हर पिता अपने बेटों को बारिकी से अनुभव सीखाता था,
इसलिए ये शब्द पीढ़ी दर पीढ़ी सतत् हस्तांतरित होते हुए चली आई है… इसलिए मूल शब्द