

“मंडिया पेज / गोर्रा जावा”
? दुनिया का ऐसा एकमात्र अदभुत पेय पदार्थ जो एक साथ गर्मी, प्यास, भूख, आलस्य, कब्ज, थकान को मिटाता हैं । प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है जिससे बैक्टीरिया वयरस से होने वाली भयानक बीमारी से लड़ने के लिए शरीर में एंटीबाडी बनाता है और पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाता है । गर्मी के मौसम में जब हम धुप में घूम कर घर जाते है, तो तुरन्त फ्रिज का “ठण्डा” पानी पीते है जो शारीर को नुकसान पहुंचाता है । फ्रिज से निकलने वाली गैस वायुमंडल के ओजोन परत को नुकसान पंहुचाती है ।
प्रारंभिक कृषि विकास गोडूम डिपा (झुम कृषि) के संकट के समय से लेकर वर्तमान समय में भी “गोर्रा जावा” (रागी/मडिया पेज) कोयतूरों समुदाय का मुख्य पेय रहा है । भारी सुखे, आकाल, भारी गर्मी के दिनों में यह पदार्थ कोयतूरो को राहत देता है, इसलिए गोण्डवाना व्यवस्था में इसे पवित्रतम स्थान प्रदान करते हुए पवित्रतम “गो” शब्द से इसे “गोर्रा” नाम प्रदान किया गया है । गोर्रा जावा शरीर के “न्यूरोसिस्टम” “पाचनतंत्र ” “प्रतिरक्षा तंत्र” को मजबूत व सजग करता है ।
वर्तमान समय में गर्मी मे कोका/पेप्सी जैसे उत्पात शरीर में शुगर की मात्रा को बढ़ाते है जिससे पाचनतंत्र बिगड़ जाता है, जबकि ‘गोर्रा जावा’ आंत मे पाऐं जाने वाले micro flora की क्रियाशिलता को बड़ा देता है । जिससे micro flora माइक्रोफ्लोरा बैक्टीरिया और अवांछनीय फगंसन के अनियंत्रित विकास को सन्तुलित करता है और शारीरिक के रोम छिद्रों को खोलकर त्वचीय गर्मी से निजात दिलाता है । “गोर्रा जावा” मस्तिष्क को सन्तुलन प्रदान करता है और Alcohol का अल्पांश थकान को मिटाता है । B12 जैसे विटामिन शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है ।
कोईतूर गोंड निम्नलिखित कारणों से गोर्रा जावा पेय पीते है. . .
(1) गोर्रा जावा जिसमें कार्बोहाईड्रेड की प्रर्याय मात्रा होती है इसलिए यह गर्मी में भूख पास मिटाने का सर्वोत्तम पेय हैं ।
(2) इसे फार्मेशन कि प्रक्रियाओं से कुछ समय गुजारा जाता है इसलिए इनमें अल्प मात्रा में ऐल्कोहोल बन जाता है जो भारी थकान को ठीक करता है ।
(3) शक्कर की मात्रा कम होने व गोडा/कोदो/कसा जैसे अनाजों के मिश्रण से बने होने से यह शुगर रोगियों के लिए भी सुरक्षित भोज्य आइटम है ।
(4) यह महत्वपूर्ण श्रोत है विटामिन बी 12 का ।
(5) माइक्रोफ्लोरा जो आंत को क्रियाशिल रखता है, कोकाकोला जैसे शक्कर जन्य पेय पदार्थ आंत को कमजोर करता हैं, जबकि गोर्रा जावा माइक्रोफ्लोरा (micro flora) आंत के क्रियाशिलता को बड़ाता है और भोजन के पाचन सिस्टम को सुधारता है ।


(6) शरीर के त्वचीय रोम छिद्रों को खोलता है गोर्रा जावा और त्वचीय को गर्मी से निजात दिलाता है जिससे शरीर का तापमान संतुलित रहता है ।
(7) गोर्रा जावा में बहुत से फुलो / अनाजों / बीजों / पत्तियों / कन्दो / फलों / को मिलाकर इसे मल्टीविटामीन पेय की तरह उपयोग कर सकते हैं ।
(8) कुपोषण / अपचक / लू / डिहाइड्रेशन / आदि के लिए यह एक “मेडिसिन लिक्विड पैकेट्स” की तरह हैं ।
(9) मानव समुदाय के लबे यात्राओं के दौर में यह सबसे सरल व महत्वपूर्ण भोज्य पदार्थ था ।
(10) इसे 48 घण्टों से भी अधिक समय तक सुरक्षित उपभोग कर सकते हैं, यह एक कार्बोहाईड्रेड युक्त पेय पदार्थ है ।
(11) इसे पानी में उबाल कर बनाया जाता है जिससे हानिकारक बैक्टीरियों नस्ट हो जाते है इसलिए नाले, नदी, झरने का पानी को उपयोग किया जा सकता है । गोर्रा जावा के कारण कोयतूर हमेशा पानी उबाल कर पिने की आदत पड गई है। कोयतूर बैक्टीरियों से बचने वाली दुनिया के सबसे सजग प्रजातियों में गिनी जा सकते हैं ।
(12) यह हीमोग्लोबिन व आक्सीजन के संतुलित प्रवाह को सुनिश्चित करती है । शरीर के तापमान को नियंत्रिता है व गर्मी के मौसम में मस्तिष्कीय चिड़चिड़ापन से बचाता है ।
(13) यह शारीरिक में पाए जाने वाले रसायन को भी नियंत्रित करता है।
(14) यह महिलाओं के अनियंत्रित मासिक धर्म व पुरुषों के सेक्स क्षमताओं को बढ़ाने सम्बन्धित समस्याओं को दूर करता है ।
(15) “मोहटी चटनी ” ” चपोड़ा चटनी ” ” झिर्रा चटनी ” “आम की चटनी ” आदि खाद्य पदार्थ गोर्रा जावा के साथ खाया जाता है जो जायकेदार लगता है । जो शरीर को फोलिक एसीड, विटामिन सी, विटामिन ए आदि की भी भरपाई करते रहती है । अब बोलिऐ…. “?ठण्डा मतलब गोर्रा जावा?”
?? I LOVE GORA JAVA! ??
सौजन्य —
कोयतूर तुलसी नाग (के बी के एस प्रशिक्षण)