

नवरात्रि त्यौहार का कोई महत्व नहीं है गोंडियन समुदाय में । सबसे पहले यह जान लें कि हम कोयतूर गोंदियन कोया पुनेमी को मानते हैं। गोंड और नवदुर्गा
हिन्दू धर्म के त्यौहार हमसे अलग हैं। नवरात्रि में कई गोंड मातृशक्ति घर में घाट की स्थापना करती हैं, लेकिन उन्हें इसकी सही जानकारी नहीं होती है कि वे ऐसा क्यों कर रही हैं।
गोंड समुदाय में #नौदाईशक्तियो की उपासना की जाती है. नौ दाई शक्तियो का निवास खट्टा नीम, भूय नीम, मीठा नीम, कड़वा नीम, नल्ली नीम, हाई नीम, हिर्रा नीम, सवोर नीम और टहका नीम के वनस्पतियों में होता है। इन सभी वनस्पति जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता था।
शीतला दाई कुवारा भीमल पेन की बहन थी। उन्होंने अपने आठों सेविकाओं के साथ इन आयुर्वेदिक औषधियों की सहायता से रोगियों का उपचार किया। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बैगा गोंड आज भी रोग ग्रस्त मरीजों की सेवा करते हैं।
कोया वंशीय गंडजीवो को बैगा विधि की जानकारी इन नौ दाई शक्तियों ने दी इसलिए गोंड समुदाय में नौ दाई शक्तियो का गोगो (पूजा) नौ दिन तक घट स्थापित कर किया जाता है।
नारुंग दाई गोंगो के नाम से जाना जाता है कोयतूर में यह इन नौ दाई की गोंगो अश्विन दशमी (दशहरा) को की जाती है।
हमें किसी की नकल करने की जरूरत नहीं है, हमारा अपना पंडूम पर्व है। दुनिया की पहली आयुर्वेदिक डॉक्टर शीतला दाई और उनके आठ सेविका हैं, जिनकी हम नौ दिनों तक गोंगो करते हैं।
नारुंग दाई ता सेवा सेवा
फडापेन ता सेवा सेवा
तिरु किशोरदादा वरखडे
नेशनल गोंडवाना यूथ फ़ोर्स
(मुझे उम्मीद है कि हमारी मातृशक्ति इस साल की नारुंग दाई गोंगो करेगे और हमारे सगा समाज को जानकारी दीजिये। इस साल से दशहरा में नारुंग दाई गोंगो और रावण पेन की जानी चाहिए। पुरे भारत भर के गोंड सगा सामूहिक रूप से गोगो करे)
साभार: पारी कुपार लिंगो गोंडी पूनम दर्शन, आचार्य मोतिरावन कंगाली