

भारत में आज तक यही सिखाया जाता है कि गांधी ने साइमन कमीशन का विरोध किया था, लेकिन यह नहीं पड़ाया गया है कि साइमन कमीशन का स्वागत करने वाले तीन लोग कौन थे।
इन तीन लोगों के नाम इस प्रकार हैं:-
1- चौधरी सर छोटूराम जी, जो पंजाब के थे।
2- डॉ० अम्बेडकर, जो महाराष्ट्र से थे।
3- शिव दयाल चौरसिया जो यू०पी० से थे।
अब सवाल यह उठता है कि गांधी ने साइमन का विरोध क्यों किया?
क्योंकि 1917 में, अंग्रेजों ने दक्षिण बोरो कमीशन नामक एक समिति का गठन किया, जिसने भारत के शूद्र अति शूद्र की पहचान की, आज की भाषा में, एससी, एसटी और ओबीसी के लोगों और उन्हें प्रत्येक क्षेत्र में अलग अलग प्रतिनिधित्व दिया। यह हजारों वर्षों से मूलनिवासियो 85% लोगों को अधिकार देने के लिए बनाया गया था। उस समय ओबीसी की ओर से, शाहू जी महाराज ने भास्कर राव जाधव को, और एससी, एसटी की ओर से डॉ० अम्बेडकर ने आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए भेजा गया था। लेकिन बाल गंगाधर तिलक को यह पसंद नहीं आया और वह कोल्हापुर के पास अथनी नामक एक कस्बे में गए और एक बैठक ली जहाँ तेली, तम्बोली, कुर्मी कुनभट्टों को संसद में जाकर क्या हल चलाना है। विरोध के बाद भी, अंग्रेजों ने तिलक की बात नहीं माना और 1919 में, अंग्रेजों ने कहा कि भारत के ब्राह्मणों का भारत के बहुसंख्यक लोगों के प्रति कोई नया चरित्र नहीं है।
इसे ध्यान में रखते हुए, 1927 में, साइमन कमीशन 10 साल बाद फिर से भारत में एक और सर्वेक्षण करने के लिए आया, भारत छोड़ने से पहले विभिन्न क्षेत्रों में इन स्वदेशी लोगों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने के लिए। इस साइमन कमिशन में सात लोगों का एक आयोग था, समिति में सभी संसदीय लोग थे । इसलिए, यह उन लोगों को शामिल नहीं कर सकता था, जिन्होंने हमेशा भारत के मूलनिवासी लोगों के अधिकार का विरोध किया था। जब यह आयोग SC, ST और OBC का सर्वे करने आये तो गांधी, लाला लाजपराय, नेहरू और आरएसएस से जुड़े लोगों ने इनका जमकर विरोध किया। इतना जमकर कि साइमन को कई जगहों पर काले झंडे दिखाए गए, लाला लापतराई ने भले ही मेरी जान ले ली, लेकिन ये शूद्र अति शूद्र लोगों को हक अधिकार नही मिलना चाहिए ।
गांधी ने आयोग के लोगों को यह कहते हुए विरोध किया कि इस में एक भी सदस्य भारतीय नहीं है, दूसरे अर्थ में गांधी यह कहना चाहते थे कि ब्राह्मणों बनियों को क्यों नहीं लिया गया? क्योंकि गांधी ने मरते दम तक ओबीसी के एक व्यक्ति को संविधान सभा में नहीं पहुंचने दिया, बाबा साहेब ने ओबीसी के लिए अनुच्छेद 340 बनाया और संख्या के अनुपात में अधिकार देने का प्रावधान किया। दूसरी ओर साइमन का स्वागत करने के लिए, चौधरी सर छोटूराम जी ने एक दिन पहले लाहौर के रेलवे स्टेशन पर उनका स्वागत किया, यूपी के शिवदयाल चौरसिया ने उनका वहाँ स्वागत किया और डॉ० अम्बेडकर ने विभिन्न स्थानों पर अंग्रेजों की सहायता की। जो राउंड टेबल सम्मलेन में कहा की भारत के मूलनिवासी लोगो को शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संपत्ति से हजारों सालो से वंचित किया।
हमे वोट देने का अधिकार मिला है। लेकिन हम अपने वोट की कीमत आज तक नहीं जान पाए हैं। इसलिए ओबीसी, एससी, एसटी, अभी भी 3% लोगों के गुलाम हैं। दूसरा, जो साइमन का विरोध करके हमारे अधिकारों का विरोध कर रहे थे।
1- कर्मचंद गांधी गुजरात का बनिया था।
2- जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडित।
3- पंजाब से लाला लाजपत राय ब्राह्मण।
4- आर एस एस के संस्थापक डॉ० केशव बाली हेडगवार और पुरी आर एस एस।
ये लोग विरोध कर रहे थे क्योंकि उनकी संख्या भारत में मुश्किल से 10% है और इस वजह से पंचायत में ब्राह्मण पंच भी नहीं बन पाते ।
■ □ ■ □ ■ □ ■ □ ■ □ ■ □ ■
वाह क्या गजब हो तुम , अंबेडकर को ऊंचा दिखाने के चक्कर में कुछ भी अनर्गल बक दो , अंधभक्ति चाहे इधर की हो चाहे उधर की तुम उसमे से एक हो ,
साइमन कमीशन का विरोध भारत के हर एक वर्ग ने किया जो भारतीय था , लेकिन तुमने सिर्फ आरएसएस और कांग्रेस को घसीट लिया , तुम्हारी नफरती बुद्धि यहां साफ झलकती है।
साइमन कमीशन का विरोध मुस्लिम लीग ने भी किया , और कम्युनिस्टों ने भी , भगत सिंह ने भी तो प्रेमचंद ने भी लेकिन इन सब का नाम क्यों नही लिखा.
सच कहूं तो अंग्रेजो के तलवे चाटने वालो ने और सिर्फ एक वर्ग को अपने स्वार्थ केलिऐ use करने वालो ने हि साइमन कमीशन का साथ दीया , जिंदगी भर दलाली करते रहे अंबेडकर अंग्रेजो की. पर तुम ये नही बताओगे, तुम अंधभक्त जो ठहरे