⚔👑गोंडवाना साम्राज्य 👑⚔

बाजनामठ पेनठाना ( भिमाल भैरवा पेनठाना)

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बाजनामठ पेनठाना देश का दुर्लभ तांत्रिक पेनठाना है। सिद्ध तांत्रिकों के मतानुसार यह ऐसा तांत्रिक पेनठाना है जिसकी हर ईंट शुभ नक्षत्र में मंत्रों द्वारा भुमका, मुठवा नेगी, पुनेम प्रचारको के द्वारा सिद्ध करके जमाई गई है। ऐसे मंदिर पूरे देश में कुल तीन हैं, जिनमें एक बाजनामठ तथा दो काशी और महोबा में हैं। बाजनामठ का निर्माण गोंड महाराजा संग्राम शाह द्वारा उनके शासनकाल मे सन् 15 वी शताब्दी मे __भिमालपेन (भैरव) पेनठाना के नाम से कराया गया था। इस मठ के गुंबद से त्रिशूल से निकलने वाली प्राकृतिक ध्वनि-तरंगों से शक्ति जागृत होती है।

Bhairav-Baba
Bhairav-Baba

बताया जाता है कि राजा संग्रामशाह भिमालपेन (भैरव बाबा) के अनन्य भक्त थे। महाराजा संग्राम शाह हर रोज प्रात: काल पक्षियों के जागने से पहले दाई नरगोदा (नर्मदा नदी) में जाकर स्नान करते थे तथा स्नान के बाद बाबा की पूजा एवं तपस्या के रूप में अपना सिर काटकर भिमालपेन (भैरव बाबा) को अर्पित करते थे। उसी समय भैरव बाबा प्रकट होकर उनका सिर पुन: स्थापित कर देते थे। भिमालपेन (भैरव) और महाराजा संग्रामशाह के बीच इस तरह भक्त और भक्ति का समागम कब से चल रहा था, किसी को पता नहीं था, हर रोज स्नान के पश्चात बाबा के लिये उनकी तपस्या इसी प्रकार से होती थी। इतिहास कारो केनुसार गोंडवाना के बढ़ते कदम रोकने शत्रु राज्यों द्वारा एक कूटनीति पूर्ण योजना बनाई गई थी जिसमें अहमद शाही ने अपनी हार का बदला लेने कूटनीति प्रयोग कर अपने सेनानायक को राजधानी गढा भेजा।

योजना के मुताबिक सेनानायक गोंडीयनो जैसे वस्त्र पहन गोंडी भाषा का ज्ञान अर्जित कर गोंडवाना में प्रवेश कर राजधानी पहुंच नर्मदा के किनारे आश्रम बनाकर रहने लगा गणराज में भीख मांगना अपराध था सेनानायक वैध बनकर लोगों को दवा दिया करता था जल्द ही उसने कापालिक (अघोरी) नाम से राज्य में प्रसिद्धि पाली कापालिक को जड़ी का अच्छा ज्ञान था जल्द ही उसे बाजना मठ पेनठाना मे पुजारी बनने का अवसर प्राप्त हुआ योजना के तहत मुख्य भूम काल की जगह कापालिक पहुंच गया।

Bajnamath-Penthana
Bajnamath-Penthana

कापालिक ने सारा भेद जानकर सारा राज शत्रु राज्य को संदेश भेज घटना बताइए शत्रु राज्यों से जवाब में अन्य साथी कपाली के मदद के लिए भेजे गए जो प्रशिक्षित योध्दा थे भेष बदलकर वह कापालिक के शिष्य के रूप में कार्य करने लगे कुछ दिनों के पश्चात प्रातः काल की गोंगो होने के बाद कापालिक महाराजा से बोला हे राजाधिपती हमारे राज्य पर बड़ा संकट आने वाला है संकट से पूर्ण राज्य समाप्त हो जाएगा तथा प्रजा का कत्लेआम हो जाएगा जवाब में महाराजा बड़े ही धैर्य के साथ बोले हे भूमिका नेगी भैरवा पेन के आसमान से हमारी सेना इतनी बलशाली है की गढ़ा की ओर आने वाला हर संकट को यह समाप्त कर सकते हैं।

गोंडवाना की विशाल सेना को रोक पाना नामुमकिन है किंतु यदि आपको लगता है तो अवश्य ही कुछ कारण होगा हम अपनी प्रजा को संकट में नहीं डालना चाहते आप इसका कुछ उपाय बताएं कापालिक नया महाराजा को आने वाले पूर्णमासी को भैंस की बलि देना बताया प्राण प्रजा गणतंत्र रक्षा के लिए महाराजा ने कापालिक के बातों का समर्थन किया जिससे कपाल एक मन ही मन खुश हो गया कपाली के द्वारा उठती सारी बातें संदेश में शत्रु राज्य को बताई गई महाराजा सभी बड़े समस्याओं का निर्णय अपने न्यायालय दरबार में करते थे जिसमें प्रधानमंत्री दीवान राज नदियों की सलाह से फैसला लिया जाता था राज्यसभा में प्रधानमंत्री के पद में जोगा राय थे जो अपनी बुद्धिमता के लिए प्रसिद्ध है राजनैतिक पद पर कयोसिंह थे जो राजनैतिक सलाहकार थे पुरोहित पद पर हीरो ओझा थे दीवान भोज सिंह और सेनापति सैमर सिंह अंतरमन की सूचना के अनुसार रानी की सूझ-बूझ से राजा स्नान के लिये नरगोदा (नर्मदा) जी गये और अपना नितकर्म जरी रखा। रानी का भाई शक्तिसिहं छुपकर अघोरी के आने के इंतजार में था।

राजा अपने सिर भैरव को अर्पित करने वाला था उसी समय जैसे ही अघोरी राजा का सिर काटने वाला था, वैसे ही शक्तिसिंह ने छुपकर अघोरी के आने के इंतजार में था। राजा अपने सिर भैरव को अर्पित करने वाला था उसी समय जैसे ही अघोरी राजा का सिर काटने वाला था, वैसे ही शक्तिसिंह ने अघोरी का सिर तलवार से काटकर धड सहित खौलते तेल के कड़ाहा में गिरा दिया। अघोरी को रक्तबीज की शक्ति हासिल था। राजा को भैरव बाबा दर्शन देकर आशीर्वाद दिया और राजा की नित्य तपस्या का यहीं से अंत हो गया।

शिष्यो के भेष में रह रहे दुश्मन योद्धाओं को भी मौत के घाट उतार दिया गया।

बाजनामठ की एक खासियत यह है कि यहाँ पहले सिर्फ शनिवार को श्रद्धालुओं की भीड़ होती थी, लेकिन अब हर दिन यहाँ भारी भीड़ होती है। यह मंदिर नागपुर रोड पर मेडिकल कॉलेज के आगे संग्राम सागर के निकट स्थि‍त है।

सेवा जोहर

सेवा गोंडवाना

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