Ken Colbung wants link of Australian Aboriginal with Gonds fully investigated…. ….. KEN COLBUNG ( केन कालबाग ) आस्ट्रेलिया


8 दिसम्बर 1996 को गोडवाना महासभा की बैठक ग्राम तिलैँडी तहसील गोहरगँज जिला रायसेन म प्र मेँ । ये आस्ट्रेलिया के कछुवा गौत्र चिन्ह धारी तेकाम ( तेकमिया ) है….
….केन कालबाग आस्ट्रेलिया के मूलनिवासी हैँ और इनकी जाति गोँड है ये यहाँ भारत सरकार के एक उपक्रम के निमँत्रण पर भोपाल आये थे यहाँ उन्होँने एक पत्रकार वार्ता मेँ कहा था कि भारत के गोँड़ हमारे पुरखे हैँ । गोँड पुरखोँ की बात से यहाँ सनसनी फैल गयी थी । वे गोडवाना महासभा ग्राम तिलैडी मेँ गोडवाना शक्ति दादा हीरा सिहँ मरकाम से मिले थे । ये गोँड़वाना की दो शक्तियोँ का मिलन था । वे वहाँ के Aboriginal के लिए सँघर्षरत है गोडवाना की लहर वहा भी समान रुप से दौड़ रही है । केन कालबाग ने कँगाली जी की तरह काफी रिसर्च किया है । यहाँ उन्होने अपने भाषण मेँ कहा था … आप लोग लगातार सँघर्ष जारी रखिये । जिस तरह लगातार सँघर्ष जारी रखकर ब्रिटिशोँ को भगाया और जीत हासिल की उसी तरह शोषक वर्ग के लोग आपको जितना भी दबायेँगे आप इसमेँ जीत हासिल करेँगे और ऊपर आ जायेगेँ अर्थात सत्ता आपके हाथोँ मेँ आ जायेगी ।
यहा उन्होने फड़ापेन के प्रतीक पर माला पहनाया और गर्व से कहो हम गोड़ है का नारा लगाया तथा बड़ादेव की जयकार की थी ।
यहा उन्होने आस्ट्रेलिया से साथ लाये गये कैगेरी जैसे वाद्य यँत्र डिजरी डू को बजाया और बूमरिग का प्रदर्शन किया था ।
भारत की गोड़ सँस्क्रति धर्म और आदिवासी चित्रकला को अपने पुरखोँ पूर्जजोँ की बताने वाले इस महापुरुष को गोड़वाना का सेवा जोहर । जय सेवा….Courtesy by Tirumaal
Narayan Gajoriya Sir…