*******अखण्ड कोयतूर भारत*******
सिंधु सभ्यता के समय अखण्ड कोयतूर भारत मात्र चार राज्य में बटा था
1)भीलवाना
(पाकिस्तान, अफगानिस्तान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, 10% कश्मीर, 20% उतराखण्ड, 20% उत्तर प्रदेश, 30% मध्य प्रदेश, 60% महाराष्ट्रा)
2)गौंडवाना
(छत्तीसगछ, तमिलनांडु, केरल, मध्य प्रदेश, गोवा, तिलंगाना, आंद्रप्रदेश, कर्टनाक, 5% उडीसा, 10% उत्तरप्रदेश, 40% महाराष्ट्रा)
3)कोलवाना
(बिहार, झारखंड, बेस्ट बंगाल, बांग्लादेश, उडीसा, 10% छत्तीसगढ, 10% मध्यप्रदेश, 20% असम, 70% उत्तर प्रदेश)
4)किरातवान
(मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, मणीपुर, बर्मा, अरूणाचल प्रदेश, सिक्कीम, असम, नेपाल, लद्दाख, हिमाचलप्रदेश, 80% उतराखण्ड, 80% काशमिर,)


इस तरहा अखण्ड कोयतूर भारत का चार राज्यो में भारत का संचालन हो इसलिए किया था और चारो राज्यो के संचलन के लिए चार पेन नियुक्त किये थे
1)भीलवाना—भीलट पेन
2)गौंडवाना—-बडा पेन
3)कोलवाना–सिंगबोंगा
4)किरातवान–थेबा सामांग
इन चार पेनो के ऊपर नियंत्रण करने के लिए महापेन थे जो पुरे अखण्ड कोयतूर भारत का संचलन करते थे
महापेन के समय हमारे भारत की व्यवस्था वस्तु विनिमय मतलब मानव=मानव की व्यवस्था थी न इस समय में कोई गरीब था न कोई अमीर इसलिए इस समय में हम कोयतूरों के घरो में दरवाजे नही हुआ करते थे क्योंकि विशवास और एक दुसरे पर पुरा भरोसा था लोग सामुहिक रूप से जीवन जीते थे क्योंकि इस समय सामुहिक नेतृत्व की व्यवस्था थी परिवार हो घर हो गाँव हो नगर या शहर हो सभी के मामल सामुहिक रूप से रूढीगत पारंपारीक ग्राम सभा जिसे पाँच पंच बोलते थे जैसे की
1)गाँव पटेल गोंड(Chief)
2)गाँव डालाह गोंड (Exprience)
3)गाँव वार्ती गोंड (Speach)
4)गाँव पुजारा गोंड (Culture)
5)गाँव कोटवार गोंड (Information)
और गाँव के लोग वादी और प्रतीवादी पक्ष के सामने सभी के सामुहिक विचारो से लिए हुए निर्णय पर ही फेसला सुनाया जाता था।
इस समय के हमारे पुरखो के कुछ सामाजिक सिध्दांत थे जिसके अनुसार हमारे पुरखे अपना जिवन जीते थे वा सिध्दांत निम्नलिखित है
1)मातृ सत्तात्मक परिवार
2) सामुहिक नेतृत्व
3)संस्कृति जीवन जीना
4) प्रकृतिक पुजा
5)वस्तु विनिमय
6)टोटम अनुसार रिस्ते कायम करना
इन्ही सिध्दांतो के अनुसार पुरखे अपना जीवन जीते थे जो कौम के प्रती बहुत समर्पित थे और इन्ही सिध्दांतो के बल पर हमारे पुरखो ने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सिंधु सभ्यता का निर्माण किया था और एक कुशल जिंदगी जिते थे लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ साम्राज्यवादी वर्चस्ववादी हिंसक खाना बदोश लोगो का आगमन हमारे इस विशाल देश में हो गया जिन्हे आर्य बोलते थे जिन्होने साम,दाम,दण्ड,भेद,छल,कपट से हमारी वस्तु विनिमय व्यवस्था को मुद्रा विनिमय व्यवस्था में परिवर्तीत कर दिया और हमारे चार राज्यो को फुट डालो और शासन करो की निति से 28 राज्य और 8 केन्द्र शासित प्रदेशो में बाट दिया और हमारे एक आदिवासी परिवार को 642 उपजाति और जनजाति में बाट दिया और हर उपजाति को परिवार सरनेमवाद के आधार पर टुकडे टुकडे में बाट दिया।
जोहार
जिंदाबाद
जय आदिवासी
********/////औंकार सिंह आदिवासी////******