Scheduled-Tribal-Areas
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?1.) संविधान में 50% से ज्यादा आरक्षण का प्रावधान नही है, जबकि कोयतूर क्षेत्रों 5th schedule में केवल कोयतूर को ही 100% आरक्षण का प्रावधान है । (see गवर्नमेन्ट of आंध्र प्रदेश G.O. Ms. No. 92, dated 21st April 1987, G.M.0.93, GMO 64, 4/4/1988etc) (see महाराष्ट्र शासन राजपत्र नोटिफिकेशन डेटेड 14 अगस्त 2014)

?   No. RB/TC/e-13013(4)/Notification -2/474/2014/730 …………………. such posts which are to be filled in by direct recruitment for the Scheduled Areas of the districts which have Scheduled Areas in the state of Maharashtra shall be filled in by the local Scheduled tribe candidates only having requisite qualification… इस रेगुलेशन को न लागू कर के राष्ट्रपति, राज्यपाल महोदय ने गलत किया, जिसका हर्जाना कोयतूर भुगत रहा है, जिसके जिम्मेदार उस वक़्त के राष्ट्रपति, राज्यपाल हैं  

?2.) पूरे भारत यानी संविधान के अनु 1 में केंद्र की कार्यपालिका (राष्ट्रपति, CRPF, CISF, जलसेना, थलसेना, वायुसेना आदि) लागू होती है, जो कि अनु 52 , 53 में है.. राज्य की कार्यपालिका ( राज्यपाल, कलेक्टर, पुलिस , फ़ोर्स आदि) अनु 153,154 में है.. फिर अलग से 5वी अनुसूची के पैराग्राफ 2 में राज्य की कार्यपालिका ( सामान्य पुलिस से अलग कलेक्टर, पुलिस)  5वी अनुसूची के उपबंधों के अधीन (कल्याण हेतु, या रीति रिवाज परंपरा को नुकसान नही पहुंचाते हुवे) क्यों है?? जो कि संविधान के मूल मसौदे, (अनु 189(a) ,190(1) और सुप्रीम कोर्ट के समता जजमेंट 1997 में भी है..

?? The Governor may also make regulation for any scheduled area in the state with respect to the trial of cases relating to offences other than those which are punishable with death transportation for life or imprisonment for 5 years or a word or relating to disputes other than those arising out of any such laws as may be defined in such regulations and may be such regulations import the headman or panchayats in any such area to try such cases..

【 देखें गजेटियर ऑफ इंडिया, IPC 1860 सेक्शन 5, CRPC 1898 सेक्शन 1 (2), CRPC 1973 सेक्शन 5 】 या आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के 5वी अनुसूची के पैरा 5 (1) के पावर का इस्तेमाल का नोटिफिकेशन

The state government issued G.O. MS. No. 485, (home Court-B) department date 29. 03 .1974,  wherein the Governor by exercising his powers conferred by Para 5 (1) of fifth schedule of constitution of India issued notification stating that code of criminal procedure 1973 shall not apply to Scheduled Areas in the state of Andhra Pradesh. A provision has also been inserted to Section 1 (2) of the new CRPC making the code inapplicable to Scheduled Areas of Andhra Pradesh..  

इसमें रूढ़िगत 13(3) क/ force of लॉ/ all law in फ़ोर्स ग्रामसभा / 372(1) / CRPC 1898 सेक्शन 1(2) / CRPC 1973 सेक्शन 5 के अनुरूप, रूढ़ि प्रथा के अनुरूप, गजेटियर of इंडिया के अनुसार ग्राम पुलिस, चौकीदार, पटेल पुलिस के अनुसार ही राज्यपाल को CRPC यानी कोर्ट, पुलिस इन क्षेत्रों में लगाना है । इस रेगुलेशन को न लागू कर के राष्ट्रपति, राज्यपाल महोदय ने गलत किया, जिसका हर्जाना कोयतूर भुगत रहा है, जिसके जिम्मेदार उस वक़्त के राष्ट्रपति, राज्यपाल हैं ।  

?3.) संविधान के अनुछेद 3 के अनुसार संसद पूरे भारत मे किसी क्षेत्र की सीमा को घटा बढ़ा सकती है, और इस प्रकार से मनचाही सीट मनचाहे जाति की कर देती है.. ???पर 5वी अनुसूची क्षेत्र में केवल राष्ट्रपति को ये कार्य संविधान के 5वी अनुसूची मे दिया गया है की राज्यपाल से बात करके राष्ट्रपति 5वी अनुसूचित क्षेत्रों को घटा भी सकते हैं, और बढ़ा भी सकते हैं, और इसी प्रकार ट्राइबल सीट को भी धीरे धीरे खत्म करते जाते हैं।?? ??पर माननीय न्यायपालिका ने संविधान के इस बात को नकार के बोला, की एक बार किसी क्षेत्र को कोयतूर क्षेत्र घोषित कर दिया हो, तो राष्ट्रपति खुद भी कोयतूर क्षेत्र को नही तोड़ सकते.. ??  

5th schedule provides in its provision that”…. any such order may contain such incidental and consequential provisions as appeared to the president to be necessary and proper, but save as aforesaid, the order made under sub-clause 1 of this paragraph shall not be varied by any subsequent order” ??that is to say a that once the order for scheduling an area is passed under sub-clause 1 of 6 of part C of the fifth schedule then even the president himself cannot vary through a subsequent order.??  

यानी 1950 को जो अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया, कानूनन और संवैधानिक रूप से वर्तमान में भी वही है, 1950 के बाद जितने सीट घटाए गए, या तोड़े गए, वो अवैध हैं, जिसके जिम्मेदार उस वक़्त के राष्ट्रपति, राज्यपाल हैं इस रेगुलेशन को न लागू कर के राष्ट्रपति, राज्यपाल महोदय ने गलत किया, जिसका हर्जाना कोयतूर भुगत रहा है, जिसके जिम्मेदार उस वक़्त के राष्ट्रपति, राज्यपाल हैं  

4.) गजेटियर of इंडिया के अनुसार कोयतूर क्षेत्र पर अंग्रेजो ने शासन नही किया, इस लिए कानून की नजर में ये विदेश थे.. इसलिए देश के सीमा के अंदर देश होने पर  वीसा पासपोर्ट की जगह inner लाइन परमिट थी, जो कि फ़ोर्स of law के रूप में , हर कोयतूर क्षेत्रों में अनु 19(5,6) के रूप में अभी भी लागू है.. जो कि 6th schedule राज्यों पे इनर लाइन परमिट के रूप में, और 5th scheduled राज्यों के अनुसूचित जिलों, और सामान्य क्षेत्रों के कोयतूर गांव में लागू है.. ??राष्ट्रपति, राज्यपाल महोदय ने गलत किया, जिसका हर्जाना कोयतूर भुगत रहा है, पर संविधान के अनुसार अनु 361 का हवाला देकर माननीय कोर्ट ने राष्ट्रपति को बचा लिया, की किसी भी कार्य के लिए राष्ट्रपति कोर्ट में जवाबदेह नही है??  

That article 361 of the Constitution of India envisages that the president shall not be answerable to any Court for the exercise and performance of the powers and duties of his office or for any act done or purporting to be done by him in the exercise and performance of those powers and duties. – MD. ashique ahmad vrs Union of India 2016  

??संविधान के अनुच्छेद 361 के अधीन राष्ट्रपति को अपराधिक एवं सिविल विधि से मुक्ति प्रदान की गई है.. राष्ट्रपति पद पर बने रहने की अवधि के दौरान राष्ट्रपति के विरुद्ध ना तो कोई आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है और ना ही उन्हें दीवानी विधि के अधीन किसी भी तरह के दायित्व से अवैध किया जा सकता है..  इसी तरह से उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ भी कुछ ऐसी व्यवस्था लागू की गई हैं ,

??5वी अनुसूची के अनुसार जिन राष्ट्रपति, राज्यपाल महोदय ने गलत किया, जिसका हर्जाना कोयतूर भुगत रहा है, पद पर बने रहने की अवधि के दौरान राष्ट्रपति राज्यपाल के विरुद्ध ना तो कोई आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है और ना ही उन्हें दीवानी विधि के अधीन किसी भी तरह के दायित्व से अवैध किया जा सकता है, ये सारी बाते संविधान पद पर बने रहने की अवधि तक रोक लगाती है पद पर उतरने के बाद नहीं, या फिर हर संवैधानिक पद Rule of law के विरुद्ध नही जा सकती..

??कोर्ट में संविधान प्रदत्त मांग करने पर, और ये बात पूछने से treaty, grant, होने की या सारवान प्रश्न उठने पर मामला लंबित कर 5 जज से ज्यादा की बेंच बिठाने का आदेश दिया गया,

1.)इस बीच कोयतूर आंदोलन से त्रस्त होकर क्यों न Indian independence act 1947 के सेक्शन 7a, b, c का हवाला दे?? 

2.)या फिर 3 जून 1947 के ब्रिटिश इंडिया के प्लान का??

3.) या फिर संविधान सभा के जयपाल सिंह मुंडा के नागालैंड का भारत में शामिल होने से इनकार का वाद विवाद, या आजाद भारत के पहले कोयतूर हत्याकांड सरायकेला खरसावां हत्याकांड का, जो कि अलग झारखंड देश (इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 सेक्शन 7b,7c ) की मांग को दबाने के लिए हुए थे, जबकि ब्रिटिश भारत 7 (a) में आदिवासी क्षेत्र (7b,7c) नही थे, और भारत का संविधान लागू भी नही था??

4.) क्यों नही कोर्ट में इस आजाद भारत के पहले हत्याकांड की जांच की मांग की जाए??

5.) और क्यों न संविधान सभा के उस वाद विवाद का जिक्र किया जाए जिंसमे सरायकेला_खरसांवा हत्याकांड 1 जनवरी 1948 के बाद उड़ीसा के कोयतूरों ने अपने लिए संविधान बनाए जाने से मना कर दिया था, पर जबरन देश के अंदर देश, और संविधान के अंदर संविधान बोल के, और foreign जुरीडिक्शन एक्ट 1947 के अनुसार all law इन force या रूढ़ि प्रथा या स्थानीय विधि के अनुसार, तुम्हारे गांव के संविधान के अनुसार ही कानून लगाएंगे बोल के झुनझुना दिया गया..  

ये सारे मामले कोर्ट में तो आने ही चाहिए, तभी तो मालूम चलेगा, की दूध क्या और पानी क्या है ।


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आरक्षण पर 10 सवाल और जवाब

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